अश्वनी कुमार : एक सफल जीवन का दुखद अंत

 

शिमला. अश्वनी कुमार का नाम आते ही हिमाचल का हर नागरिक गौरव का अनुभव करता है। प्रदेश के सिरमौर जिले से संबंधित अश्वनी कुमार ने अपने जीवन में जो चाहा वो पाया। उन्होंने हर ऊंचाईयों को छुआ। आईपीएस अफसर से कैरियर की शुरुआत करने वाले अश्वनी कुमार हिमाचल प्रदेश के डीजीपी रहे। इसके बाद सीबीआई के डायरेक्टर के पद पर आसीन हुए। इस पद पर पहुंचने पर हर व्यक्ति गौरव का अनुभव करता है। सीबीआई डायरेक्टर बनने के बाद वह नागालैंड के गवर्नर भी बने। प्रदेश के बाहर महत्वपूर्ण पदों पर रहने के बाद वह अपने प्रदेश लौट आए और शिमला में अपना आवास बना लिया। शिमला में ही एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी में चांसलर के पद पर विराजमान हुए। लगातार जनता की सेवा में समर्पित रहने वाले अश्वनी कुमार चल बसे। उनका अंत ऐसा हुआ जिस पर किसी को विश्वास ही नहीं हो रहा है कि हमेशा सकारात्मक सोचने वाले अश्वनी कुमार अवसाद के कारण जीवन अंत करने का निर्णय ले लेंगे और फंदे पर झूलकर आत्महत्या कर लेंगे। अश्वनी कुमार के आत्महत्या का समाचार जैसे ही लोगों के बीच पहुंचा तो किसी को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि वे  ऐसा कदम उठा सकते हैं लेकिन ऐसा कदम वह उठा चुके थे और जीवन का अंत हो गया।

हिमाचल पुलिस के डीजीपी संजय कुंडू ने कहा कि प्रदेश के हर पुलिस अधिकारी अपने ट्रेंनिंग के समय ही अश्वनी कुमार को अपना आदर्श मानकर उनके जैसा ही बना चाहता था। अश्वनी कुमार हिमाचल पुलिस के लिए आदर्श थे। वह पुलिस के लिए ही नहीं बल्कि पूरे हिमाचल प्रदेश के लोगों के लिए आदर्श रहे हैं। हिमाचल से संबंधित आईपीएस अधिकारी का सीबीआई डायरेक्टर बनना बहुत की बड़ी बात है। इसके बाद वह नागालैंड के गवर्नर भी बने। लेकिन जीवन का अंत आत्महत्या करके किया, जो बहुत ही दुखद है।