कृषि क्षेत्र में नई कहानी लिख रही है जाईका परियोजना

फसल विविधीकरण से लघु और सीमांत किसानों की बदल रही तकदीर

लगातार बढ़ती जनसंख्या, खेती के लिए घटती जमीन और जलवायु परिवर्तन जैसी बड़ी चुनौतियों के बावजूद कृषि क्षेत्र में आज भी बड़े पैमाने पर स्वरोजगार प्रदान करने का सामथ्र्य है। पारंपरिक खेती के साथ-साथ फसल विविधीकरण और कृषि से संबंधित अन्य गतिविधियों के माध्यम से किसान-बागवान अच्छी आय अर्जित कर सकते हैं। कृषि क्षेत्र में इन अपार संभावनाओं को देखते हुए सरकार फसल विविधीकरण को बढ़ावा दे रही है तथा इसके लिए जमीनी स्तर पर एक वृहद एवं दीर्घकालीन परियोजना पर कार्य कर रही है। जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी यानि जाईका के सहयोग से हिमाचल प्रदेश के पांच जिलोें में चलाई जा रही यह फसल विविधीकरण प्रोत्साहन परियोजना कृषि क्षेत्र में एक नई कहानी लिख रही है। 321 करोड़ रुपये की इस परियोजना ने लघु एवं सीमांत किसानों के लिए खुशहाली के नए द्वार खोले हैं और इससे कृषि की तस्वीर बदलने लगी है।
जाईका परियोजना ने प्रदेश के पांच जिलों के लघु एवं सीमांत किसानों की आर्थिकी सुदृढ़ करने के साथ-साथ, सिंचाई एवं अन्य ढांचागत विकास, पर्यावरण संरक्षण और नई पीढ़ी को खेती की ओर आकर्षित करने की दिशा में सराहनीय कार्य किया है। हमीरपुर स्थित हिमाचल प्रदेश कृषि विविधीकरण प्रोत्साहन परियोजना-जाईका-ओडीए के मुख्यालय से संचालित की जा रही इस परियोजना में हमीरपुर के अलावा ऊना, बिलासपुर, मंडी और कांगड़ा जिले को भी शामिल किया गया है। यह परियोजना लक्ष्य से आगे बढ़कर कार्य कर रही है और इसके काफी अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं।
परियोजना के तहत 3712 हेक्टेयर के निर्धारित लक्ष्य के मुकाबले 4671 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा विकसित की जा चुकी है। 2645 हेक्टेयर भूमि को सब्जी उत्पादन के अंतर्गत लाया गया है। परियोजना क्षेत्रों में खाद्यान्नों की औसत उत्पादकता 18 क्विंटल से बढ़कर 26 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो गई है। सब्जी उत्पादन भी प्रति हेक्टेयर 10 मीट्रिक टन से बढ़कर 18 मीट्रिक टन तक पहुंच गया है। लाभान्वित किसानों की औसत सकल वार्षिक आय लगभग 55,000 रुपये से बढ़कर 2,40,000 रुपये प्रति हेक्टेयर हो गई है। परियोजना से 14,356 किसान परिवारों को सीधा लाभ पहुंचा है। परियोजना क्षेत्रों में ढांचागत विकास और किसानों की उपज के बेहतर विपणन पर भी विशेष बल दिया जा रहा है। अभी तक 54 उप-परियोजनाओं को संपर्क मार्गों से जोड़ा जा चुका है तथा 23 कलेक्शन सेंटर भी स्थापित किए गए हैं।
परियोजना क्षेत्र में सिंचाई योजनाओं के संचालन, प्रबंधन और रखरखाव के लिए सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित की गई है। परियोजना के तहत विकसित 210 सिंचाई प्रणालियों की जिम्मेदारी कृषक विकास संघों को सौंपी गई है। इनमें से 70 योजनाओं को सौर ऊर्जा से संचालित किया जा रहा है। नई पीढ़ी को कृषि की ओर आकर्षित करने के लिए जाईका परियोजना के तहत ‘प्रोग्राम फाॅर नेक्स्ट जनरेशन’ कार्यक्रम आरंभ किया गया है। इसमें 41 स्कूलों के दो हजार से अधिक विद्यार्थियों को शामिल किया गया है।
परियोजना निदेशक डाॅ. विनोद कुमार शर्मा ने बताया कि जाईका परियोजना के पहले चरण के बहुत ही उत्साहजनक परिणामों को देखते हुए इसके दूसरे चरण में प्रदेश के सभी 12 जिलों को शामिल करने के लिए लगभग 1104 करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार किया गया है। यह प्रस्ताव सरकार की मंजूरी के लिए भेजा गया है।