प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी के लिए दिल्ली दौड़ते कांग्रेसी

प्रदेशाध्यक्ष बनने के लिए दिग्गज नेताओं में छिड़ी जंग, हाईकमान नहीं ले पा रहा निर्णय, सितंबर में ही बदलाव की संभावना

शिमला. प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी हासिल करने में लिए कांग्रेस के दिग्गज नेता दिल्ली दरबार की ओर नजरें गढ़ाए इंतजार कर रहे हैं। प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी के दावेदारों की लंबी लाइन के चलते कांग्रेस हाईकमान निर्णय नहीं ले पा रहे हैं। निर्णय लेने में हाईकमान की देरी के बाद भी कुर्सी के दावेदार नेता हार मानने को तैयार नहीं है। जब तक कुर्सी पर बैठ न जाएं, तब तक दिल्ली की तरफ दौड़ते नजर आ रहे हैं। कुर्सी के लिए कांग्रेसी नेताओं के बीच लंबे समय से चल रही कसरत को देखा जाए तो कोई दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात कर रहा है तो कोई राहुल गांधी से। जिनको सोनिया गांधी व राहुल गांधी से मिलने का समय नहीं मिल रहा तो वह प्रभारी राजीव शुक्ला से मिलकर ही अपनी बात रखकर कुर्सी पर बैठना चाह रहे हैं। कांग्रेस हाईकमान मिशन 2022 को कामयाब करने के लिए दम तो भर रहा है लेकिन हिमाचल के बारे में निर्णय नहीं ले पा रहा है। हाईकमान ने पंजाब के बाद उत्तराखंड में बदलाव कर दिया लेकिन हिमाचल का मामला लटक गया है। दिल्ली में पार्टी के सीनियर नेताओं से मिलने वाले कांग्रेसी नेताओं को उम्मीद है कि सितंबर माह में हाईकमान फैसला करेगा। हाईकमान पार्टी नेताओं के बीच एकजुटता बनाए रखने के फॉर्मूले पर मंथन कर रहा है, जिससे प्रमुख दावेदारों को एडजस्ट भी किया जा सके और मिशन 2022 को कामयाब करने में सफलता हासिल करे। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार हाईकमान युवा नेता के हाथों में प्रदेशाध्यक्ष की कमान सौंपकर प्रदेश में पार्टी को चेहरा बनाना चाह रही है जो लंबे समय तक राजनैतिक पारी खेलने में सक्षम होने के साथ-साथ अधिकांश नेताओं की सहमति भी हासिल करने में कामयाब हो।
कांग्रेसी नेताओं से प्राप्त जानकारी के अनुसार कांग्रेस हाईकमान प्रदेशाध्यक्ष पद के साथ-साथ चुनाव प्रचार कमेटी का अध्यक्ष और तीन या चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाने पर मंथन कर रहा है। कांग्रेस में कुर्सी हासिल करने के लिए दावेदारी करने वाले नेताओं में प्रमुख रुप से वर्तमान में विधानसभा में विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री, कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कौल सिंह ठाकुर और सुखविंदर सिंह सुक्खू, पूर्व मंत्री आशा कुमारी और रामलाल ठाकुर प्रमुख हैं। इनके अलावा हर्ष महाजन और हर्षवर्धन चौहान के नाम की भी चर्चा है। इसके साथ ही कार्यकारी अध्यक्ष पद के दावेदारों की लाइन में लंबी है। दिग्गज नेता जीएस बाली अभी प्रदेशाध्यक्ष पद के दावेदारों में शामिल नजर नहीं आते लेकिन ऐसा माना जा सकता है कि बाली चुनावों में कांग्रेस पार्टी की जीत के बाद मुख्यमंत्री पद हासिल करने की लड़ाई पूरे दमखम से लड़ेंगे। इससे पहले भी बाली ऐलान कर चुके हैं कि मुख्यमंत्री पद पर कांगड़ा जिले का हक है। जिससे तय है कि बाली मुख्यमंत्री पद हासिल करने की लड़ाई लड़ने की भूमिका तैयार कर रहे हैं। वहीं दिग्गज नेताओं का मानना है कि मुख्यमंत्री पद की लड़ाई लड़ने के लिए पहले प्रदेशाध्यक्ष पद हासिल करना जरुरी है। प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी पर विराजमान होकर विधानसभा चुनावों में पार्टी प्रत्याशी चयन में अहम भूमिका निभाई जा सकती है। जिससे जीतकर आने वाले विधायकों का समर्थन हासिल करने में आसानी होगी। जिसको अधिक समर्थन मिलेगा, वही मुख्यमंत्री पद का असल दावेदार होगा। इस तरह प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी के सहारे मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को मजबूत करने के लिए कांग्रेस नेता अभी से लड़ाई लड़ रहे हैं। अब देखना है कि हाईकमान किस नेता को जमीनी स्तर पर मजबूत मानकर कुर्सी सौंपती है। फिरहाल तो यह है कि वर्तमान प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप राठौर दावा करते हैं कि विधानसभा चुनाव तक वहीं प्रदेशाध्यक्ष होंगे। राहुल गांधी के आदेश के अनुसार ही वह कार्य कर रहे हैं और राहुल के एजेंडे के अनुसार ही प्रदेश में पार्टी को मजबूत करने में लिए कार्य कर रहे हैं। अब देखना है कि कुर्सी पर बैठने का इंतजार कर रहे नेताओं का इंतजार कब खत्म होता है।