राज्यपाल ने नेशनल फॉनल रेपोजिट्री ऑफ हिमालय व म्यूजियम का लोकार्पण किया

राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने आज सोलन में नेशनल फॉनल रेपोजिट्री ऑफ हिमालय व म्यूजियम राष्ट्र को समर्पित किया। उन्होंने कहा कि हमारी समृद्ध परम्परा और विरासत को सबके समक्ष लाने के लिए सभी को गम्भीरता से प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्होंने भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण (जेडएसआई) हाई एल्टीटयूड रिजनल सेन्टर सोलन द्वारा इस दिशा में किए गए प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों में लुप्त हो रही जीवों की प्रजातियों के लिखित प्रमाणीकरण के लिए उनके द्वारा किया गया कठिन परिश्रम वास्तव में सराहनीय है।

 इस अवसर पर वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि वर्तमान में इस प्रकार के अनुसंधान करने तथा विरासत संस्थानों की नितांत आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि ज्यूलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया पिछले कई वर्षों से उत्कृष्ठ कार्य कर रहा है और संस्थान द्वारा कई महत्त्वपूर्ण खोजंे की गई हैं परन्तु इस दिशा में और आगे बढ़ने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमारी विरासत बहुत समृद्ध है और इसमें लिखित दस्तावेज तैयार करना बहुत चुनौतीपूर्ण है। वर्तमान में इस दिशा में बेहतरीन काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस खजाने को जनता तक पहंुचाने तथा भविष्य के लिए इसे संरक्षित करने की आवश्यकता है।

 उन्होंने कहा कि ज्यूलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया का कार्य केवल जीवों के संरक्षण और उन्हें प्रदर्शित करने तक ही सीमित नहीं है। इसका मुख्य कार्य हिमाचल की जनता और यहां आने वाले आगन्तुकों को प्रदेश की समृद्ध जीव सम्पदा के बारे में शिक्षित करना है। यह संग्रहालय हमारी समृद्ध जीव सम्पदा, स्वच्छ पर्यावरण और हमारे अनुभवों को आज के परिप्रेक्ष्य में प्रदर्शित करता है।

राज्यपाल ने कहा कि यह संग्रहालय हमारी भारतीय सांस्कृतिक पहचान का एक अनूठा उदाहरण है। यह संग्रहालय हमारा वर्तमान है जो यह दर्शाता है कि हम किस प्रकार अपनी समृद्ध जैव विविधता का संरक्षण करते हैं।

राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश और देश के अन्य नागरिकों को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि लोगांे को शिक्षित करने, सीखने और जागरूक करने के लिए जेडएसआई यहां स्थापित किया गया है। हिमाचल पश्चिमी हिमालय के केंद्र में स्थित है जिसे जैव विविधता के प्रमुख केंद्र के रूप में पहचाना जाता है और यहां समृद्ध जैव विविधता है। उन्होंने कहा कि हिमालय के वन्य जीव मूल्यवान हैं और उनका जीवन अनमोल है। उन्होंने कहा कि हमें आने वाली पीढ़ियों का बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने के लिए वन्यजीवों को संरक्षित करने की आवश्यकता है।

इस अवसर पर जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की निदेशक डॉ. धृति बनर्जी ने राज्यपाल का स्वागत कर उन्हें सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया का हिमालयन फॉनल रिपोजिटरी व म्यूजियम हमारे जीव-जंतुओं के रूप में संपदा की कहानी बताएगा। यह आगंतुकों को हिमाचल प्रदेश की प्रकृति, जैव विविधता और इस संबंध में और अधिक जानने के लिए प्रोत्साहित करेगा। उन्होंने कहा कि भारत ने क्या किया है, और वह क्या करने की इच्छा रखता है, यह संस्थान इसे प्रतिबिम्बित करेगा। उन्होंने कहा कि यह संस्थान आम जनमानस और अन्य वैज्ञानिकों के साथ जीव-जंतुओं की इस संपदा की जानकारी साझा करके, संग्रहालयों और भंडारों के माध्यम से हमारा स्वयं से व एक दूसरे के साथ संवाद भी स्थापित करेगा, ताकि भविष्य को आकार देने में हम एक प्रबुद्ध आवाज बन सकें।

जेडएसआई के पूर्व निदेशक डॉ. के. वेंकटरमण ने भी जियोलॉजिकल सर्वेक्षण और संग्रहालय के ऐतिहासिक पहलुओं के बारे में जानकारी प्रदान की।

जेडएसआई सोलन के कार्यालय प्रभारी डॉ. ए.के. सिद्धू, ने भी जेडएसआई सोलन के क्षेत्रीय केंद्र की उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी।

जेडएसआई सोलन के वैज्ञानिक-डी डॉ. बोनी अमीन लस्कर ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।

उपायुक्त कृतिका कुल्हरी, पुलिस अधीक्षक वीरेंद्र शर्मा, शूलिनी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति, डॉ. पी.के. खोसला, मशरूम अनुसंधान केंद्र, सोलन के निदेशक डॉ. वी.पी. शर्मा, और अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित थे।