लगातार कमरतोड़ महंगाई बढ़ाने के गुनाह के लिए बीजेपी को जनता कभी माफ नहीं करेगी : राणा

महंगाई व बेरोजारी ने आम आदमी का जीना किया दुश्वार
हमीरपुर 2 नवंबर
बीजेपी की केंद्र सरकार व प्रदेश सरकार बेरोजगारी व महामारी से तबाह हो चुकी जनता को लगातार महंगाई के तोहफे दे रही है। बेरोजगारी व महामारी ने पहले ही छोटे व्यापारियों व आम जनता का जीना दुश्वार किया हुआ है। आम जन अनिश्चितता के माहौल में परेशान है। ऐसे में हर मोर्चे पर फ्लॉप व फेल रही जयराम सरकार जनता पर लगातार महंगाई का बोझ लादने का काम कर रही है। लगातार आम आदमी की पैरवी व जनहित के मुद्दों पर मुखर राजेंद्र राणा ने कहा है कि खाने का तेल, आलु, प्याज यहां तक कि आम गरीब के घर में पकने वाली मसरी की दाल के साथ अन्य खाने-पीने की चीजों के दाम आसमान छूने लगे हैं। ऐसे में महंगाई रोकने में नाकाम प्रदेश सरकार रोज लोगों को महंगाई के नए-नए तोहफे दे रही है। बिजली की दरों से लेकर नए कुनेक्शनों पर भारी भरकम इजाफा किया गया है। समझ में यह नहीं आ रहा है कि पूंजीपतियों की यह सरकार जनादेश तो आम आदमी से हासिल करती है लेकिन पैरवी पूंजीपतियों की करती है। जनता ने जिन वायदों पर भरोसा करते हुए बीजेपी को समर्थन देकर सत्ता में लाया था, उन तमाम वायदों को बीजेपी सरकार पूरी तरह भूल चुकी है। जिसका खामियाजा सरकार को भुगतना होगा। राणा ने सवाल खड़ा किया है कि डबल इंजन का नारा देने वाली बीजेपी सरकार प्रदेश की जनता को बताए कि डबल इंजन का प्रदेश की जनता को क्या लाभ हुआ है। आम आदमी का डेढ़ गुना किराया बढ़ाकर सरकार ने आम आदमी का सफर मुश्किल किया है। जबकि सत्ता के मजे लूट रही सरकार हैलिकॉप्टर और महंगी गाडिय़ों पर करोड़ों रुपए फूंक रही है। उन्होंने कहा कि लगातार कमर तोड़ महंगाई बढ़ाने के गुनाह के लिए प्रदेश की जनता बीजेपी को कभी माफ नहीं करेगी। राणा ने कहा कि बेरोजगारी से जूझ रहे लोगों को महीनों की पगार नहीं मिल पा रही है और ऐसे में देश के प्रधानमंत्री स्किल इंडिया जैसे बोगस अभियान का राग अलाप रहे हैं। आत्मनिर्भर भारत अभियान में पूंजीपतियों की तिजोरियां लबालब भरी जा रही हैं, जबकि आम आदमी को दाल-रोटी के लाले पडऩे लगे हैं। राणा ने कहा कि बीजेपी के झूठे झांसों का अंदाजा भाजपा नेताओं के उन बयानों से लगाया जा सकता है जिनमें बीजेपी ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से सालाना 1 लाख करोड़ रुपए की इकॉनोमी पैदा होने का बयान दिया है। जबकि हकीकत यह है कि औद्योगिक राज्य गुजरात का पूरा बजट ही सवा 2 लाख करोड़ का है। केंद्रीय मंत्री पियूष गोयल ने रेलवे इको सिस्टम से 10 लाख नौकरियां देने की बात तीन साल पहले की थी, लेकिन यह बात भी 2 करोड़ रोजगार देने की तरह ही झूठा झांसा निकला है। अगर देश और प्रदेश की जनता बीजेपी के झूठे झांसों पर अब भी भरोसा करती रही तो इस देश को बुरे दौर से निकालना मुश्किल ही नहीं असंभव हो जाएगा। कर्ज लेकर राज्यों को चला रही राज्य सरकारों की बदहाली का आलम यह है कि अब अगर वह कर्ज न भी लें तो भी राज्य लगातार कर्ज के पहाड़ के नीचे दब कर दम तोडऩे की कगार पर हैं। क्योंकि उनका कर्जा अब लगातार बढ़ता ही जाएगा।