सांसद की संदिग्ध मौत का सच सामने आना चाहिए, कांग्रेस की सीबीआई जांच की मांग पर सिफारिश क्यों नहीं

शिमला. हिमाचल के लिए यह एक दुखद खबर रही कि मंडी संसदीय क्षेत्र के सांसद राम स्वरुप शर्मा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। सांसद का शव दिल्ली स्थिति उनके सरकारी आवास में फंदे से लटका मिला। दिल्ली पुलिस के अनुसार सांसद राम स्वरुप ने फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। सरकारी सूचना के अनुसार रामस्वरुप शर्मा रात को अपने कमरे में सोने चले गए। सुबह जब उनके आवास के कर्मचारी आए तो उनका दरबाजा नहीं खुला। आवास के कर्मचारी ने पुलिस को सूचना दी और जब पुलिस ने दरवाजा खोलकर देखा तो रामस्वरुप शर्मा फंदे पर लटके दिखे। हिमाचल में यह खबर सुबह ही मिली, जिससे संपूर्ण हिमाचल शोक की लहर डूब गया। रामस्वरुप शर्मा की संदिग्ध मौत कई सवाल छोड़ गई है। सवाल इसलिए भी खड़े हो रहे हैं कि रामस्वरुप शर्मा जैसे सरल स्वभाव के बेदाग नेता कैसे आत्महत्या जैसे कदम उठा सकते हैं। रामस्वरुप के लंबे राजनैतिक जीवन पर उनके दामन में कोई दाग नहीं लगे। जिससे सवाल यह है कि आखिर क्या कारण रहे होंगे जिससे एक सरल स्वभाव के नेता ने आत्महत्या जैसे कदम उठाया। दिल्ली पुलिस ने कानून के तहत कार्रवाई करते हुए शव का पोस्टमार्टम भी किया है। लेकिन अभी तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट पब्लिक के सामने नहीं आई है। जिससे पता चल सके कि मौत् का असली कारण क्या है। इसी बीच कांग्रेस के नेताओं ने रामस्वरुप शर्मा की मौत की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है। कांग्रेस पार्टी के विधायकों ने प्रदेश में चल रहे विधानसभा सत्र में भी सांसद की संदिग्ध मौत् की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है। विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री का कहना है कि सांसद रामस्वरुप शर्मा बहुत ही अच्छे राजनेता थे। उनके द्वारा उठाया गया आत्महत्या का कदम सवाल खड़े करता है। उनका कहना है कि जब अभिनेता सुशांत सिंह की मौत भी इसी तरह से हुई थी तब उसकी जांच सीबीआई ने की तो सांसद की मौत् की जांच भी सीबीआई से करानी चाहिए , जिससे सच्चाई सामने आ सके। प्रदेश के सांसद की मौत पर सभी दुखी हैं लेकिन सरकार को भी चाहिए कि उनकी संदिग्ध मौत का सच जनता के सामने आने चाहिए और मौत् पर उठते सवालों का जवाब भी जनता को मिलने चाहिए। सरकार को चाहिए कि वह सांसद की मौत की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश करनी चाहिए, जिससे सच्चाई जनता के सामने आ सके।