हार के खौफ से घबराई बीजेपी उप चुनावों को जनरल चुनावों के साथ भी करवा सकती है : राणा

कृषि कानूनों के कारण मंडी समितियों पर छाया संकट, बेरोजगार हुए कर्मचारी

हमीरपुर 25 सितंबर
नए कृषि कानून के रुझान आने शुरु हो गए हैं। कृषि कानूनों के जबरन लागू करने से देश की अनेक कृषि उपज मंडियों की आमदनी लगातार कम हो रही है। यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है। राणा ने कहा कि मध्यप्रदेश भिंड से आई एक रिपोर्ट के मुताबिक वहां की 259 कृषि मंडियों में से 50 के करीब मंडियों की आमदनी सिफर हो चुकी है। 62 फीसदी मंडियों में कार्यरत कर्मचारियों के वेतन-भत्तों पर संकट बना हुआ है। जिसको लेकर मंडी समितियों ने राज्य सरकार को अनुदान के लिए गुहार लगाई है। यही हाल देश भर में कृषि उपज मंडियों का है। उत्तरी भारत के अनेक राज्यों में कृषि उपज मंडियों की आमदन तेजी से घट रही है। आमदन कम होना मंडियों के बंद होने का संकेत है। जिस कारण से पहले से छाई बेरोजगारी के दौर में अब इस क्षेत्र में रोजगार छिनने की नौबत आ रही है। राणा ने कहा कि सत्ता के डंडे से जबरन कोई कानून लागू करना किसी भी समाज व वर्ग के हित में नहीं है लेकिन बीजेपी को प्रचंड बहुमत देकर गलती कर चुकी देश की जनता को अब ऐसे कई खामियाजे भुगतने पड़ रहे हैं। महंगाई व महामारी के दौर में बेरोजगारी ने देश की 80 फीसदी आबादी को तनाव व अभाव के वातावरण में जीने को विवश किया है। बेरोजगार नौजवान इस अभाव व तनाव के कारण मौत जैसे घातक कदमों को उठाने के लिए लाचार हैं। लेकिन सरकार पूंजीपतियों के हितों को पोषित करने में लगी है। देश हो या प्रदेश बीजेपी सरकार से जितनी निराशा जनता को मिली है उतना निराश आजाद भारत के इतिहास में किसी भी सियासी दल ने नहीं किया है। जनहित को बाजार की तर्ज पर नफा नुकसान के आधार पर देखने की बीजेपी की नई परंपरा ने देश का सबसे बड़ा अहित किया है। बीजेपी ने अपने मित्र पूंजीपतियों के हितों के आगे आम आदमी के हकों की नीलामी सत्ता के दम पर करने की नई परंपरा डाली है। जिसका खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ेगा। लोकतंत्र में सत्ता के दुरुपयोग की नई अति कर चुकी बीजेपी के राज में हर वर्ग तंग आ चुका है और चुनाव का इंतजार कर रहा है। मजेदार बात यह है कि इस सब की भनक बीजेपी को भी है। शायद यही कारण है कि वह उप चुनावों से लगातार भाग रही है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि अपनी आपेक्षित हार से खौफजदा हुई बीजेपी हिमाचल में चुनावों को एक साथ भी करवा सकती है।