होटल में नहीं, ढाबे में खाना, सत्ता के मायाजाल में नहीं फंसे मुख्यमंत्री सुक्खू

 

मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान होकर भी नहीं छोड़ा साधारण जीवन

संघर्ष के रास्ते सत्ता की कुर्सी पर विराजमान सुखविंदर सिंह सुक्खू मोह माया में नहीं फंसे। व्यवस्था परिवर्तन का दम भरने वाले सुक्खू जमीन में जुड़कर ही जन सेवा करने की ठाने हुए हैं। मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान होने के बाद सुक्खू के लिए हर सुविधा उपलब्ध है। वह चाहे तो किसी भी बड़े होटल में भी खाना खा सकते हैं। लेकिन सुक्खू ऐसा नहीं कर रहे हैं। हमीरपुर में हिमाचल के पूर्ण राज्यत्व दिवस के कार्यक्रम में शामिल होने के बाद सुक्खू राजधानी शिमला हेलीकॉप्टर से नहीं बल्कि वाय रोड गाड़ी से आए। इसी बीच उन्होंने बिलासपुर में घाघस के पास एक ढाबे में खाना खाया। यह बहादुर ढाबा मक्की की रोटी के लिए प्रसिद्ध है। सुक्खू ने अपने परिवार और स्टाफ के साथ इसी ढाबे में खाना खाया। मुख्यमंत्री ने ढाबे में मौजूद आम लोगों के साथ मक्की की रोटी के साथ दाल और कढ़ी का स्वाद लिया। मुख्यमंत्री ने ढाबे के खाने की तारीफ की, लोगों से संवाद भी किया और कहा कि अपना फीडबैक देते रहें ताकि व्यवस्था परिवर्तन का बीड़ा जो वर्तमान प्रदेश सरकार ने उठाया है उसे पूरा किया जा सके।

40 वर्षों से भी अधिक समय तक जन सेवा, सामाजिक सरोकारों के निर्वहन और संघर्ष के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुए ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू का जीवन सरलता और सहजता की मिसाल है। ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू उन संस्कारों को उजागर कर बहुत ही सहजता से अपनी भूमिका सुनिश्चित करते हैं जो उन्हें धरोहर के रूप में अपने पूर्वजों से मिली हैं।
मुख्यमंत्री की जीवनशैली सभी को नित नई प्रेरणा देकर उनके व्यक्तित्व को प्रतिबिंबित करती है।

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह करीब आधे घंटे तक बनौला में बहादुर ढाबे पर रुके और लोगों से खुलकर बातचीत की। आस-पास के लोगों को जैसे ही पता चला कि मुख्यमंत्री वहां रुके हैं, तो वह भी मिलने के लिए पहुंच गए और अपनी बात रखी। मुख्यमंत्री ने सबकी बात ध्यान से सुनीं और सभी को पूरा समय दिया। ढाबे में मौजूद हर आदमी की जुबान पर एक ही लफ्ज़ था कि ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू जी आम आदमी के मुख्यमंत्री हैं और सीएम बनने के बाद भी उनकी सादगी बरकरार है।