बीजेपी के सियासी स्वार्थ ने लटकाया सीपीयू का मामला : राणा

क्षेत्रवाद व परिवारवाद से ऊपर उठकर जमीनी विवाद का हल करे सरकार
डबल इंजन की सरकार में मूलभूत सुविधाओं को चीख रहा सीपीयू
हमीरपुर 8 अक्तूबर
सेंट्रल यूनिवर्सिटी कांगड़ा भाजपा की आपसी कशमकश में प्रदेश को वह लाभ नहीं दे पाई है जिस मकसद से इस विश्वविद्यालय को हिमाचल प्रदेश में स्थापित किया गया था। सियासी स्वार्थों में मकसद से भटका केंद्रीय विश्वविद्यालय अब वरदान की बजाय अभिशाप बन रहा है। यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है। राणा ने कहा कि पार्टी व परिवारवाद के बीच फंसा यह उच्च शिक्षण संस्थान पहले ही फैकल्टी की नियुक्तियों में धांधली के लिए चर्चा में आया है। उन्होंने कहा कि यूपीए टू में शुरू किया गया सीयूएचपी सेंट्रल यूनिवर्सिटी एक्ट 2009 (नं. 25 ऑफ 2009) में कांग्रेस सरकार द्वारा देश और प्रदेश में शिक्षा ले रहे युवाओं को घर द्वार बेहतर सुविधाजनक उच्च शिक्षा देने के लिए खोला गया था। लेकिन तब तत्कालीन बीजेपी सरकार के मुखियाओं ने इस संस्थान को पारिवारिक हित साधते हुए क्षेत्रवाद के मामले में उलछाए रखा, जिसके चलते यह राजनीतिक मुद्दा बना। उस समय केंद्र के तत्कालीन कैबिनेट मंत्री एवं पूर्व मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह ने इस विवाद को क्षेत्रवाद से उठाकर स्थायी समाधान के भरपूर प्रयास किए, लेकिन बीजेपी सरकार के निजी स्वार्थों की साजिशों ने उन प्रयासों को सिरे नहीं चढऩे दिया। 2014 में जब केंद्र में सत्ता परिवर्तन हुआ तो उस समय हिमाचल में कांग्रेस की सरकार थी। कांग्रेस ने एक बार फिर से इस मुद्दे का समाधान करना चाहा, लेकिन क्षेत्रवाद की राजनीति करते हुए एक हाई प्रोफाइल सेलिब्रिटी नेता ने अपने निजी स्वार्थ के लिए सीपीयू के निर्माण में न केवल रोड़े अटकाए बल्कि इस मामले को लटकाने के भरपूर प्रयास किए। राणा ने आरोप जड़ा कि स्वार्थ की राजनीति को सिद्ध करने के लिए 2015-16 में सीपीयू को त्रिपुरा शिफ्ट करने का भी मसौदा तैयार किया गया, लेकिन प्रदेश में सत्तासीन तत्कालीन कांग्रेस सरकार के प्रयासों से धर्मशाला में विभिन्न सरकारी ईमारतों में कांग्रेस सरकार ने सीपीयू के कैंप ऑफिस बनाकर इसको त्रिपुरा शिफ्ट करने की साजिशों से बचाया। उन्होंने कहा कि सच तो यह है कि सीपीयू को स्थापित करने से लेकर जमीन मुहैया करवाने का सारा काम कांग्रेस सरकार ने करवाया। जबकि बीजेपी ने सिर्फ और सिर्फ अपने सियासी स्वार्थ के लिए सीपीयू के मामले को विवादास्पद बनाए रखा है। अब जब करीब 3 सालों से केंद्र और राज्य में बीजेपी की सरकार है तब भी यह मामला लगातार सियासी स्वार्थों की पूर्ति के मकसद से लटकाया जा रहा है। यहां पढऩे वाले हजारों छात्रों को उनकी मौलिक व मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखने का गुनाह सियासी साजिशों के तहत किया जा रहा है। बीजेपी के स्वार्थी सियासी फेर में फंसी सीपीयू में सुविधाओं के टोटे के बीच छात्र डिग्री करने को विवश हो रहे हैं। प्रदेश के नैसर्गिक शैक्षणिक माहौल को देखते हुए देश भर से छात्र सीपीयू में पढऩे के लिए आते हैं। मगर सीपीयू की बदहाली को देखकर खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं। जिस कारण से प्रदेश की नैसर्गिक ईमानदार छवि भी बीजेपी की इस आपसी धमाल में लगातार धूमिल हुई है। सीपीयू अभी तक करोड़ों रुपए का किराया देने के बावजूद अपने स्थाई भवन व समाधान को निरंतर चीख रहा है। राणा ने कहा कि प्रदेश की जनता को बीजेपी ने आदतन बेवकूफ बनाने के असफल प्रयास में 2019 में ठीक लोकसभा चुनावों से पहले सीपीयू का फर्जी शिलान्यास एमएचआरडी मंत्री द्वारा करवाया गया। लेकिन उसके बाद डबल इंजन की सरकार में सीपीयू में एक ईंट तक नहीं लग पाई है। उन्होंने कहा कि यहां सवाल यह उठता है कि जमीनी विवाद का मामला चल रहा था तो झूठा व फर्जी शिलान्यास करके जनता को क्यों ठगा गया। उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि छात्रों के भविष्य को देखते हुए सीपीयू के भूमि विवाद को क्षेत्रवाद व परिवारवाद से ऊपर उठकर प्राथमिकता के आधार पर हल करके सीपीयू का निर्माण शुरू करे, ताकि यहां पढ़ने वाले युवाओं को उनके मौलिक हक के साथ मूलभूत सुविधाएं मिल सकें।