कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी : मुकेश, आशा कुमारी व सुक्खू रेस में आगे

शिमला. कांग्रेस हाईकमान ने चुनावी राज्य और उत्तराखंड में सख्त निर्णय लेते हुए संगठन में बदलाव कर दिया है। अब तय है कि हिमाचल कांग्रेस में भी जल्द बदलाव होगा। जिसकी आहट के चलते प्रदेशाध्यक्ष के दावेदार दिल्ली दरबार में अपने राजनैतिक आकाओं के संपर्क में आ गए हैं। यह मुहिम प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला के माध्यम से सोनिया गांधी और राहुल गांधी तक पहुंच चुकी है। हाईकमान में इसके लिए मंथन चल रहा है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस हाईकमान ऐसे हाथों में कमान सौंपना चाहता है, जो प्रदेश की सियासत में लंबी पारी खेल सके, यानि युवा नेता को मौका मिलेगा।
हिमाचल कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष पद की कुर्सी पर बैठने के लिए प्रमुख रुप से पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कौल सिंह ठाकुर, पूर्व मंत्री आशा कुमारी, विधानसभा में विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री और सुखविंदर सिंह सुक्खू, रामलाल ठाकुर शामिल हैं। इनके साथ ही हर्ष महाजन और हर्षवर्धन सिंह का नाम भी दावेदारों में लिया जा रहा है। वर्तमान प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप राठौर के खिलाफ खुलकर कोई कांग्रेसी नहीं बोल रहा, लेकिन परदे के पीछे उनके चुनावी अनुभव न होने का मुद्दा लेकर सियासत चल रही है। लेकिन लंबे समय से चल रही कुर्सी के दौड़ में मुकेश अग्निहोत्री, आशा कुमारी और सुखविंदर सिंह सुक्खू आगे नजर आ रहे हैं। संभावना यही है कि इन तीन नेताओं में ही एक कुर्सी पर विराजमान होगा।
प्रदेशाध्यक्ष के दावेदारों में कौल सिंह ठाकुर प्रमुख हैं। लेकिन गांधी परिवार के नेतृत्व पर सवाल उठाने वाले ‘जी- 23’ गुट में कौल सिंह ठाकुर भी शामिल थे, जिससे तय है कि हाईकमान उनकी दावेदारी को गंभीरता से नहीं लेगा। गत विधानसभा चुनाव में कौल सिंह और उनकी बेटी कांग्रेस उम्मीदवार थे और दोनों ही चुनाव हार गए थे। यह भी उनके पक्ष में नहीं दिखता है। कौल सिंह की उम्र भी 75 वर्ष से अधिक हो चुकी है। वह खुद कह चुके हैं कि 75 के बाद वह राजनीति का अलविदा कह देंगे।
पूर्व मंत्री आशा कुमारी भी प्रदेशाध्यक्ष पद की प्रबल दावेदार हैं। वह पूर्व में पंजाब कांग्रेस के प्रभारी रहीं हैं, बाद में हाईकमान ने हटा दिया था। आशा कुमारी की दावेदारी को कमजोर करने के लिए ही कांग्रेसी नेता उनके जमीन केस का मामला हाईकमान के ध्यान में लाते हैं। कांग्रेसी नेताओं का मानना है कि आशा कुमारी को कमान सौंपी गई तो भाजपा को कांग्रेस के खिलाफ बड़ा मुद्दा मिल जाएगा।
वर्तमान में विधानसभा में विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री मजबूत दावेदारी जाता रहे हैं। वर्तमान में मुकेश विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं। वह जब से सियासत में आए हैं तब से ही लगातार चौथी बार हरोली विधानसभा से चुनाव जीतते आ रहे हैं। बेदाग राजनैतिक छवि वाले युवा नेता होने के नाते वह प्रदेशाध्यक्ष पद के मजबूत दावेदार हैं। विधानसभा में विपक्ष के नेता के रुप में गत साढ़े तीन साल में अग्निहोत्री ने बेहतर भूमिका निभाई है। वह सदन में हमेशा सरकार को घेरने और आंदोलन खड़ा करने में कामयाब रहे हैं।
कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू की दावेदारी भी देखी जा रही है। सुक्खू पूर्व में भी 6 साल के करीब प्रदेशाध्यक्ष रहे चुके हैं। गत विधानसभा चुनाव सुक्खू के ही प्रदेशाध्यक्ष कार्यकाल में हुआ था लेकिन कांग्रेस हार गई थी। कांग्रेस की सियासत में ऐसी चर्चा है कि हाईकमान प्रदेशाध्यक्ष पद मुकेश अग्निहोत्री को सौंपती है तो सुक्खू विधानसभा में विपक्ष के नेता की कुर्सी पाने के लिए ताकत लगाएंगे।

पूर्व मंत्री राम लाल ठाकुर का नाम भी प्रदेशाध्यक्ष पद के दावेदारों में शामिल है। रामलाल ठाकुर ने सार्वजनिक तौर पर अपनी दावेदारी तो नहीं की, लेकिन गत एक वर्ष के दौरान सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात कर चुके हैं। जिससे संकेत यही है कि वह प्रदेशाध्यक्ष पद की दावेदारी कर रहे हैं। रामलाल ठाकुर लोकसभा चुनाव के माध्यम से दिल्ली की सियासत में जाना चाहते रहे। हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से चार बार लोकसभा का टिकट लेने में कामयाब रहे, लेकिन चारों लोकसभा चुनाव हार गए।
इसने साथ ही चंबा के पूर्व विधायक हर्ष महाजन का नाम भी दावेदारों में शामिल है। हर्ष महाजन अपने पारिवारिक कारणों से लगभग 15 वर्षों से विधानसभा चुनाव नहीं लड़े हैं। कांग्रेस के सीनियर विधायक हर्ष वर्धन चौहान का नाम भी दावेदारों में हैं। अब देखना है कि कांग्रेस हाईकमान किस नेता को प्रदेशाध्यक्ष की कमान सौंपता है। लेकिन यह तय है कि प्रदेशाध्यक्ष पद का फेसला कांग्रेस हाईकमान जल्द होगा, जिससे नया प्रदेशाध्यक्ष मिशन 2022 को कामयाब करने के लिए कांग्रेस को मजबूत कर सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ सके और कांग्रेस पार्टी फिर प्रदेश की सत्ता में वापसी करे।