कोरोना पॉजेटिव विधायक मामला : सरकार का चुप रहना ठीक नहीं, बोलना भी चाहिए और कार्रवाई भी करना चाहिए

कोरोना पॉजेटिव विधायक मामला : सरकार का चुप रहना ठीक नहीं, बोलना भी चाहिए और कार्रवाई भी करना चाहिए

शिमला. कुल्लू जिला के बंजार विधानसभा क्षेत्र के विधायक के कोरोना पॉजेटिव आने के मामले में सरकार अभी तक मौन हैं। मुख्यमंत्री और वन मंत्री क्वारंटीन हो गए हैं लेकिन विपक्षी दल कांग्रेस और मीडिया मे उठे सवालों का जवाब सरकार की तरफ से अभी नहीं आया है। इतने गंभीर मसले पर सरकार का निशब्द होना ठीक नहीं है। सरकार को सवालों के जवाब भी देना चाहिए और अगर विधायक ने गलती की है तो कार्रवाई करनी चाहिए और कुल्लू प्रशासन के जो भी अधिकारी से चूक के लिए जिम्मेदार हैं, उन पर कार्रवाई भी करनी चाहिए। आखिर पारदर्शी शासन का दाबा करने वाले सरकार क्या छिपा रही है। सरकार को सीधे बता देना चाहिए कि विधायक का टेस्ट किस तारीख को हुआ, कब उनकी रिपोर्ट पॉजेटिव आए और वह कब आइसोलेट हुए। सरकार यह बता देगी तो जनता के सामने सच्चाई आ जाएगी।

अमर उजाला समाचार पत्र में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार विधायक की रिपोर्ट 2 अक्टूबर को ही कोरोना पॉजेटिव आ गई है। समाचार पत्र की इस सूचना को गलत नहीं माना जा सकता क्योंकि उन्होंने पूरी गंभीरता और प्रमुखता के साथ समाचार प्रकाशित किया है। अब सवाल यह उठता है कि जब 2 अक्टूबर को रिपोर्ट पॉजेटिव आ गई थी तो फिर विधायक कब क्वारंटाइन हुए या कोविड सेंटर में भर्ती हुए। वह कब मुख्यमंत्री के संपर्क में आए और कब वन मंत्री के संपर्क में आए। मुख्यमंत्री के क्वारंटाइन होने की सूचना सरकारी माध्यम से दी गई है लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया कि वह बंजार के विधायक के संपर्क में आने के कारण ही क्वारंटाइन हुए हैं। क्या सरकारी सूचना में भी कुछ छिपाने का प्रयास किया गया है। सरकार सूचना में मात्र यह कहा गया है कि कोरोना पॉजेटिव व्यक्ति के संपर्क में आने के कारण क्वारंटीन हुए हैं। अभी सूचना यह भी आई है कि मुख्यमंत्री के प्रधान निजी सचिव भी कोरोना पॉजेटिव हो गए हैं। कोरोना पॉजेटिव होना कोई बुराई नहीं है और न ही अपराध है लेकिन पॉजेटिव होने की रिपोर्ट आने के बाद आइसोलेट न होकर जनता से संपर्क में आना अपराध है। सरकार ने इस अपराध के कारण प्रदेश के कई लोगों पर हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया है या फिर आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत केस दर्ज किया है। लेकिन भाजपा के विधायक के बारे में अभी सरकार ने कुछ नहीं किया है और न कुछ बोला है। यदि कुछ किया होगा तो वह परदे के पीछे हैं, सार्वजनिक रुप से कोई सूचना नहीं दी गई।

विधायक के कोरोना पॉजेटिव आने पर सबसे बड़ी चूक अधिकारियों की भी है। जब किसी व्यक्ति का कोरोना टेस्ट होता है और उसकी रिपोर्ट पॉजेटिव आती है तो प्रशासन का काम है कि वह उस व्यक्ति को तत्काल क्वारंटीन कर इलाज शुरु करे। जब विधायक की रिपोर्ट पॉजेटिव आ गई थी तो जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने विधायक को क्वारंटाइन क्यों नहीं किया। जब कुल्लू जिले में ही विधायक सार्वजनिक रुप से मुख्यमंत्री, मंत्रियों, विधायकों और जनता से संपर्क कर रहे थे तब क्या वे अधिकारियों को नहीं दिखे। इस मामले में साफ है कि अधिकारियों ने भी लापरवाही की है। सरकार को चाहिए कि इस चूक के लिए जिम्मेदारी अधिकारियों पर कार्रवाई करनी चाहिए। जिससे जनता के सामने सच्चाई भी आए और संदेश भी जाए कि जो भी लापरवाही करेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी , चाहे वह कोई भी हो।