हिमाचल की बागवानी की दशा और दिशा को बदल देगा ड्रैगन फ्रूट जीवन सिंह राणा

तीन साल में सालाना 10 से 15 लाख रुपये आय होना तय, जीवन सिंह राणा ने प्राकृतिक खेती विधि को अपनाकर घटाया खर्च

फलों की टोकरी कहे जाने वाले हिमाचल प्रदेश में सेब बागवानी ने किसान-बागवानों की आर्थिकी में बडा बदलाव लाया। अब  ड्रैगन   फ्रूट प्रदेश के किसान-बागवानों की आर्थिक समृद्धि के लिए वरदान साबित हो सकता है।  ड्रैगन  फ्रूट की शुरूआत कांगड़ा जिला के नगरोटा सुरियां ब्लॉक के घाट जरोट गांव के किसान जीवन सिंह राणा ने की है। शिक्षा विभाग से सेवानिवृत जीवन सिंह राणा ने ड्रैगन  फ्रूट की खेती करने का क्रांतिकारी कदम उठाकर किसान बागवानों के लिए आशा की नई किरण दिखाई है। जीवन सिंह राणा ने अपनी 30 कनाल (15) भूमि में से 6 कनाल भूमि में  ड्रैगन फ्रूट  के 500 पौधों का बाग लगाया है। प्राकृतिक खेती विधि से वर्ष 2020 में लगाए गए इस बाग में 2021 में फ्रूट के सैंपल आ गए थे और इस साल इसमें अच्छी पैदावार होने की आशा जीवन सिंह राणा जता रहे हैं।
राणा ने बताया कि उन्होंने पंजाब के बरनाला से 25 लाख रुपये खर्च कर  ड्रैगन  फ्रूट के पौधे लाए थे और इसमें में प्राकृतिक खेती विधि में लगाए आदानों का प्रयोग कर रहे हैं। प्राकृतिक खेती विधि से पौधे बडी अच्छी तरह से बढ़ रहे हैं और उन्होंने आशा जताई है कि यह बाग उन्हें तीसरे साल के बाद 10 से 15 लाख रूपये की आय सालाना देंगे। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती विधि में पानी का कम प्रयोग होता है और मिश्रित खेती के सिद्धांत को अपनाने से जब तक  ड्रैगन  फ्रूट में पैदावार नहीं मिल रही है, तब तक मुझे  ड्रैगन   फ्रूट के पौधों के बीच में सब्जियों से आय हो रही है।
गौर रहे कि ड्रैगन फ्रूट एंटी ऑक्सीडेंट सहित कई अन्य औषधीय गुणों से भरपूर होता है और इसकी मार्केट में बहुत अच्छी डिमांड है। जिसकी वजह से लोगों को इसकी मार्केटिंग करने के लिए भी मशकत नहीं करनी पड़ेगी।
नवोन्वेषी किसान जीवन सिंह राणा ने  ड्रैगन फ्रूट   के बाग के अलावा अपनी 24 कनाल भूमि में प्राकृतिक खेती विधि से सब्जियां, अनाज फसलें और आम, संतरा, जामून और सेब के पौधे लगाए हैं। जीवन सिंह राणा बतातें है कि उनके क्षेत्र में सिंचाई की उचित व्यवस्था नहीं है और कम पानी की उपलब्धता के बावजूद भी उन्हें प्राकृतिक खेती विधि से फल सब्जियों में बहुत अच्छी बढ़वार मिल रही है। जीवन सिंह राणा ने बताया कि पहले जहां रसायनों और कीटनाशकों में उनका 12 हजार रूपये खर्च आ रहा था और कुल आय 65 हजार रुपये हो रही थी, वहीं अब यह खर्चा 3000 रुपये और आय 75 हजार रुपये हो गई है। इसके अलावा अब अगले साल से ड्रैगन  फ्रूट से भी आय होना शुरू हो जाएगी।
प्राकृतिक खेती में जीवन सिंह राणा के आशीष राणा जो कि एक सिविल इंजीनियर है व भी भरपूर साथ दे रहे हैं। जीवन सिंह प्राकृतिक खेती से भिंडी, फ्रासबीन, लौकी, खीरा, मूली, गोभी और मटर सब्जियां उगा रहे हैं। उनका कहना है कि लोग उनके प्राकृतिक खेती मॉडल पर लगे बाग और सब्जियों को देखने के लिए आ रहे हैं और इस खेती विधि को अपनाना रहे हैं। वे कहते हैं जो लोग  ड्रैगन   फ्रूट का बाग देखने के लिए आते हैं वे उन्हें इसका बाग लगाने के लिए प्रेरित करने के साथ उन्हें प्राकृतिक खेती विधि से इस बाग को कैसे लगाया जा सकता है इसके बारे में पूरी जानकारी देते हैं। इसके चलते क्षेत्र के कई अन्य किसान भी प्राकृतिक खेती को अपना रहे हैं।
कांगड़ा जिला के परियोजना निदेशक आत्मा डॉ शशि पाल अत्री ने कहा कि नगरोटा सुरियां के जीवन सिंह राणा ने कम लागत में  ड्रैगन  फ्रूट का सफल मॉडल खड़ा कर क्षेत्र के किसान-बागवानों के सामने अपनी आर्थिकी को सुदृढ करने का एक सशक्त विकल्प दिया है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती विधि से किसानों की लागत में कमी आती है और उनकी आय में बढ़ोतरी होती है।