सुधीर शर्मा की सियासी ताकत के आगे सत्ताधारियों के छूटे पसीने, मुख्यमंत्री, मंत्री के बाद अब केंद्रीय मंत्री भी आएंगे प्रचार करने, भाजपा के बागियों ने खड़ी की मुसीबत

शिमला. धर्मशाला नगर निगम चुनाव में जनता के बीच जाकर सत्ताधारियों के पसीने छूट रहे हैं। जिसका सबसे बड़ा कारण सत्ता की ताकत के आगे धर्मशाला के पूर्व विधायक सुधीर शर्मा की सियासी ताकत है। धर्मशाला को नगर निगम का तोहफा दिलाने वाले पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा अब सीधे तौर पर पार्टी प्रत्याशियों को जिताने के लिए चुनावी मैदान में उतर चुके हैं। जिससे सत्ताधारी दल भाजपा के प्रत्याशियों को मुश्किल हो रही है। सुधीर शर्मा ने धर्मशाला की सियासी जमीन पर अपनी मजबूती पूर्व कांग्रेस सरकार के समय स्थापित की, जब वह शहरी विकास मंत्री थे। धर्मशाला को नगर निगम का दर्जा दिलाने के साथ-साथ स्मार्ट सिटी का दर्जा भी दिलवाया था। वह भी तब जब प्रदेश की राजधानी शिमला को स्मार्ट सिटी का दर्जा नहीं मिला था। नगर निगम बनने और स्मार्ट सिटी का प्रोजेक्ट आने के बाद धर्मशाला में विकास बहुत हुआ। गलियों-गलियों में सीमेंटिड सड़कें बनी, पेयजल और सीवरेज की व्यवस्था हुई और पुलियों का निर्माण हुआ। धर्मशाला में विकास ऐसा हुआ था जो शहर में प्रवेश करने के साथ दिखता था। बस इसी विकास के कारण सुधीर शर्मा ने शहर में अपनी सियासी जमीन मजबूत की थी।
नगर निगम बनने के बाद जब धर्मशाला निगम के लिए पहले चुनाव हुए तो कांग्रेस ने ही कब्जा किया। अब धर्मशाला नगर निगम के लिए दूसरी बार चुनाव हो रहे हैं। जिस पर भाजपा कब्जा करना चाह रही है। भाजपा प्रत्याशियों को जिताने के लिए सरकार के मंत्री राकेश पठानिया महीने भर से धर्मशाला शहर के मोहल्ले-मोहल्ले प्रचार में डटे हैं। वहीं कांग्रेस की तरफ से अब सुधीर शर्मा सीधे मैदान में उतर पड़े हैं। सुधीर शर्मा के द्वारा प्रचार की कमान संभालने से सत्ता धारी भाजपा प्रत्याशियों के पसीने छूट रहे हैं। वन मंत्री राकेश पठानिया के साथ अब मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी धर्मशाला में भाजपा प्रत्याशियों को जिताने के लिए प्रचार किया और जनता से भाजपा को जिताने की अपील की है। इसके बाद अब केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर भी धर्मशाला में प्रचार करने आने वाले हैं। धर्मशाला में बड़ा क्रिकेट स्टेडियम बनाने के कारण अनुराग ठाकुर का बहुत प्रभाव है। जिससे अनुराग ठाकुर को प्रचार के लिए बुलाया जा रहा है। लेकिन सुधीर शर्मा की जनता के बीच पकड़ और उनके द्वारा कराए गए विकास के आगे सत्ता के वायदों पर जनता कितना विश्वास करती है, इसका पता को परिणाम आने पर ही चलेगा। लेकिन अभी प्रचार के समय मिले रहे रुझानों के कारण धर्मशाला में भाजपा-कांग्रेस प्रत्याशियों के बीच मुकाबला काफी कड़ा है। बस यही कड़े मुकाबले के रुझानों के कारण भाजपा नेताओं के पसीने छूट रहे हैं।
सत्ताधारी दल भाजपा को पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा के ताकत के साथ-साथ पार्टी के बागी उम्मीदवारों ने भी मुश्किल में डाल दिया है। निगम चुनाव के लगभग सभी वार्ड में भाजपा के दो और तीन बागी उम्मीदवार मैदान में हैं। जिससे भाजपा को अपना ही वोट बैंक खिसकने का डर हैं। वहीं कांग्रेस पार्टी के लिए सुधीर शर्मा ने ऐसी रणनीति बनाई कि कई गुटों में बंटी कांग्रेस निगम चुनाव एकजुटता के साथ लड़ रही है। पार्टी नेताओं की यही एकजुटता कांग्रेस को मजबूती प्रदान कर रही है। अब देखना है कि धर्मशाला की जनता किस पर भरोसा जताकर विजय बनाती है।