हिमाचल प्रदेश में प्लास्टिक हटाने के लिए दूसरा जियोसाइकिल बबल बैरियर प्रोजेक्ट शुरू किया

 सुंदरनगर में स्थित भाखड़ा व्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) झील से प्लास्टिक को करेगा साफ।

शिमला, 06, मार्च, 2022, अंबुजा सीमेंट्स और एसीसी लिमिटेड ने अपनी इन.हाउस कचरा प्रबंधन इकाई के माध्यम से हिमाचल प्रदेश के सुंदर नगर में स्थित बीबीएमबी झील में बबल बैरियर टैक्नोलॉजी के दूसरे चरण को चालू कर दिया है। इस तकनीक के माध्यम से झील से प्लास्टिक कचरे को हटाने का काम निरंतर जारी है। बबल बैरियर एक स्मार्ट और नॉन.इनवेसिव तकनीक है जिसका उपयोग हमारे देश में समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या को कम करते हुए जल निकायों से प्लास्टिक को हटाने के लिए किया जाता है। कंपनी को इस इनोवेटिव तकनीक को स्थापित करने के लिए बीबीएमबी से एक एनओसी प्राप्त हुई है। यह तकनीक झील से प्रति वर्ष लगभग 1500 टन कचरे को हटा देगी। बीबीएमबी झील में वर्षों से हल्के कार्बनिक पदार्थ तैर रहे हैं और जिनके एकत्र होने से झील का डिस्चार्ज पॉइंट बुरी तरह जाम हो गया है। कंपनी की जियोसाइकिल बबल बैरियर तकनीक न केवल प्लास्टिक बल्कि झील से तैरता हुआ मलबा, जैविक कचरा आदि जैसे हल्के पदार्थ भी एकत्र करेगी जिससे जाम होने की आशंका कम हो जाएगी। यह तकनीक हिमाचल प्रदेश में एसीसी गगल प्लांट के साथ स्थापित की गई है जो झील से एकत्र होने वाले प्लास्टिक के लिए को.प्रोसेसिंग केंद्र के रूप में काम करेगी। इस परियोजना का उद्देश्य एकत्रित सामग्री के सिर्फ गैर.पुनर्नवीनीकरण योग्य हिस्से को को.प्रोसेस करना है इस प्रकार इसे सुंदरनगर के मौजूदा अपशिष्ट निपटान स्थल पर ले जाना है। पुनर्चक्रण योग्य प्लास्टिक को पुनर्चक्रण सुविधाओं के लिए भेजा जाएगा जबकि गैर.पुनर्नवीनीकरण योग्य प्लास्टिक को प्री.प्रोसेसिंग के लिए जियोसाइकिल की सुविधा में ले जाया जाएगा इसके बाद गगल संयंत्र में एसीसी सीमेंट भट्टों में को.प्रोसेस किया जाएगा।

इंडिया होल्सिम के सीईओ और अंबुजा सीमेंट्स लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ नीरज अखौरी ने कहा हम स्वच्छ और हरित टैक्नोलॉजी को अपनाकर एक सस्टेनेबल फ्यूचर का निर्माण करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। को.प्रोसेसिंग के क्षेत्र में हमारे प्रयासों और विशेषज्ञता ने प्रदूषण पैदा करने वाले समुद्री प्लास्टिक कचरे के स्थायी निपटान के लिए एक अनूठा समाधान तैयार किया है। यह पहल सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देने में भी योगदान देगी। इस मिशन को आगे बढ़ाते हुए हम इस इनोवेटिव तकनीक को पूरे देश में लागू करने के अपने प्रयास जारी रखेंगे।

नदियों में पहुंचने वाले प्लास्टिक का सफाया करने से संयंत्र के आसपास के स्थानीय समुदाय को भी मदद मिलेगी। इसके अलावा कंपनी ने आगरा में अपनी पायलट परियोजना शुरू की है जो पहले ही यमुना नदी से 500 टन प्लास्टिक कचरे को हटा चुकी है। हाल ही में कंपनी को एक और बबल बैरियर तकनीक स्थापित करने के लिए वाराणसी नगर निगम से एक एनओसी भी मिली है।