मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर सरकार की छवि बनाने में नाकाम रहा सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, पब्लिसिटी पर करोड़ों खर्च किए  

शिमला. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की सरकार के कार्यकाल में हुए उपचुनाव में भाजपा चारों सीटें हार गई है। चुनाव परिणाम आने के बाद सत्ता और संगठन में विराजमान मंत्री और पदाधिकारियों की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है। हर तरफ सवाल उठ रहे हैं और बदलाव की अटकलें भी लग रही हैं। उपचुनाव में मिली हार के मंथन में जनता के बीच सरकार की छवि को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं जिसे लेकर भाजपा हाईकमान के दरबार में भी मंथन हो रहा है। मुख्यमंत्री, मंत्रियों की अपनी छवि तो ही है लेकिन जनता के बीच सरकार की बेहतर छवि बनाने की मुख्य जिम्मा सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के हवाले होता है। सरकार की छवि को बेहतर बनाने के लिए सरकार करोड़ों रुपए का बजट भी खर्च करती है। जिसका सीधा सा मकसद सरकार की योजनाओं, उपलब्धियों को जनता के बीच पहुंचाया जाए , जिससे जनता के बीच सरकार की छवि बेहतर बने। जिससे सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की जिम्मेदारी होती है कि वह इस तरह से पब्लिसिटी करे, जिससे जनता के बीच सरकार की बेहतर छवि बने। लेकिन क्या इस काम में सूचना एवं जनसंपर्क विभाग नाकाम रहा है, जिसके कारण ही जनता ने सरकार के खिलाफ मतदान कर चारों सीटों पर हार दिलाई है और विपक्षी दल कांग्रेस के प्रत्याशी विजयी रहे हैं।

 प्रदेश में हुए तीन विधानसभा जुब्बल कोटखाई, फतेहपुर और अर्की के साथ एक लोकसभा क्षेत्र मंडी के उपचुनाव में सत्ताधारी दल भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। सत्ताधारी दल भाजपा की हार के कारण सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हुए। जिससे मंत्रियों को हटने की अटकलें भी लग रही हैं। हार के मंथन पर सवाल जनता की बीच सरकार की बेहतर छवि पर भी हो रहा है। जनता के बीच सरकार की छवि बनाने का कार्य सूचना एवं जनसंपर्क विभाग का है। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग जनता के बीच सरकार की छवि बनाने के लिए करोड़ों रुपए का बजट खर्च करता है। गत चार वर्षो में सूचना एवं जनसपंर्क विभाग ने सरकार की छवि बनाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए होंगे। सरकार की छवि बनाने के लिए विभाग समाचार पत्रों में विज्ञापन देने के अलावा होर्डिंग्स लगाने के साथ-साथ प्रचार के अन्य माध्यमों उपयोग कर करोड़ों रुपए खर्च करता है। करोड़ों खर्च करने के बाद भी सरकार की छवि बेहतर न बने तो सवाल उठना लाजमी है। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों को यह रिव्यू करने की आवश्यकता है कि उन्होंने सरकार के प्रचार प्रसार के लिए जिन माध्यमों पर करोड़ों रुपए खर्च किए, वह माध्यम सही थे कि नहीं। सरकार की योजनाओं और उपलब्धियों के प्रचार के लिए जो पब्लिसिटी कंटेंट तैयार किया गया, वह सही था कि नहीं, इसका भी अध्ययन करना होगा। मीडिया में जो विज्ञापन दिए गए या जो होर्डिंग्स प्रदेश भी लगाए गए, उनमें प्रकाशित समाग्री जनता को प्रभावित करने वाली थी कि नहीं, इसका भी रिव्यू करने की आवश्यकता है। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों को इस बात का अध्ययन भी करना चाहिए कि जिन समाचार पत्रों को विज्ञापन दिए गए, वह प्रदेश की जनता तक पहुंच पाए कि नहीं, या कुछ सीमित लोगों तक ही पहुंच पाए। इसके लिए विभाग को समाचार पत्रों की सर्कुलेशन के साथ डिजिटल मीडिया की पहुंच का भी अध्ययन करना होगा। जो चैनल या समाचार पत्र हिमाचल में प्रकाशित होते ही नहीं, उन्हें विज्ञापन देने का कितना फायदा हुआ या पैसा पानी में बह गया। इन सब बातों का अध्ययन विभाग के अधिकारियों को करना होगा।

 फीड बैक लेने में विभाग कितना कामयाब

 सरकार की पब्लिसिटी करने के साथ सूचना एवं जनसंपर्क विभाग का महत्वपूर्ण कार्य सरकार की योजनाओं और निर्णयों के बारे में जनता की फीडबैक लेना भी है। सरकार की योजनाओं के प्रति जनता का फीडबैक भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। जिससे जनता की अपेक्षा के अनुरुप योजनाओं में सुधार किया जा सके। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के प्रदेश व्यापी नेटवर्क बहुत बड़ा है। राजधानी शिमला में सचिव स्तर के अधिकारी से लेकर डायरेक्टर, जॉइंट डायरेक्टर, डिप्टी डायरेक्टर स्तर के अधिकारियों के साथ लंबी टीम है। इसके साथ ही प्रदेश के हर जिले में डीपीआरओ के साथ पूरी टीम कार्य करती है। साधनों की भी कोई कमी नहीं है, दर्जनों गाड़ियां भी रोजना प्रदेश भर में दौड़ती है। जिससे विभाग जनता का फीडबैक आसानी से ले सकता है। सवाल यह है कि क्या सरकार के पास विभाग ने यह फीडबैक दिया था जनता सरकार से नाराज है। जिससे सरकार अपनी योजनाओं में सुधार करती, नए योजनाएं बनाती और जनता की नाराजगी को दूर करती। लेकिन देखने में यही आता है कि विभाग जनता का फीडबैक लेने में चूक गई है। जिसके कारण ही सरकार को हार का सामना करना पड़ा।

 सूचना एवं जनसंपर्क विभाग को अपने प्रचार अभियान को लेकर मंथन करने की आवश्यकता है। अभी सरकार का कार्यकाल एक साल से अधिक का बचा है। इसके बाद विधानसभा के आम चुनाव होना है। जिससे विभाग को प्रचार अभियान को नए सिरे से चलाना होगा, जो जनता के बीच सरकार की छवि को बेहतर बनाने में कामयाब हो।