मुकेश अग्निहोत्री ने मुख्यमंत्री से पूछा सवाल, हिमाचल प्रदेश के विशेष राज्य के दर्जे बारे स्पष्ट करें कि क्या यह समाप्त हो गया है?

प्रतिपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने कहा है कि प्रदेश सरकार हिमाचल प्रदेश के विशेष राज्य के दर्जे बारे स्पष्ट करे कि क्या यह समाप्त हो गया है? उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने सदन में साफ़ तौर पर कहा है कि अब देश में कोई भी राज्य विशेष दर्जा प्राप्त राज्य नहीं रहा है। उन्होंने दलील दी कि प्रदेश सरकार को हक़ीक़त जनता के दरबार में रखनी चाहिए , हाल के प्रदेश बजट के दौरान भाजपा विधायक लगातार दुहाई दे रहे थे कि प्रधानमंत्री ने हिमाचल को विशेष तौर पर दर्जा दिया ताकि 90 – 10 के आधार पर फ़ंडिंग हो सके लेकिन अब केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने दो टूक कहा है कि 14 वें बित आयोग के बाद अब कोई राज्य विशेष राज्य नहीं होगा। उन्होंने कहा कि फ़ंडिंग पेटर्न बदले जाने की बजह से ही सरकार क़र्ज़ों पर आश्रित होती जा रही है और जयराम सरकार ने प्रदेश को आर्थिक दिवालियेपन की तरफ़ धकेला है। यही नहीं मौजूदा सरकार सब से ज़्यादा क़र्ज़े उठाने वाली सरकार का ख़िताब हासिल करेगी। उन्होंने कहा कि केंद्रीय प्राेजेक्ट्स में फ़ंडिंग 90 – 10 के हिसाब से नहीं आ रहा, हमीरपुर – ऊना रेल लाइन की मंज़ूरी इसलिए अटकी है क्योंकि फ़ंडिंग 50 – 50 के हिसाब से माँगी जा रही है और प्रदेश सरकार ने इसे देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि रेल और हवाई पटियां बनाना केंद्र का काम है लेकिन केंद्र मदद नहीं कर रहा इसीलिए मंडी हवाई पटी के लिए भी राज्य बजट से धन निर्धारित करना पड़ रहा है। यही नहीं स्मार्ट सिटी प्राेजेक्ट्स को भी विशेष राज्य के दर्जे के तहत पैसा नहीं मिल रहा। राष्ट्रीय राजमार्गों को तो पैसा ही नहीं दिया गया। मुकेश अग्निहोत्री ने कहाकि केंद्र के इस व्यवहार की वजह से ही प्रदेश को क़र्ज़ा लेने की लिमिट बढ़ाने का क़ानून पास करना पड़ा। जबकि यह देनदारी केंद्र की थी और उसे क़र्ज़ उठा कर राज्य को राशि मुहैया करवानी थी। उन्होंने कहा कि जयराम सरकार अपने अंत तक 85 हज़ार करोड़ के क़र्ज़े उठा चुकी होगी, उन्होंने कहा कि राज्य सरकार वित्तीय पैकेज भी नहीं जुटा पाई। फ़ोरेन फ़ंडिंग प्राेजेक्ट्स जिन्हें बीते साल बजट में आधार दिखाया था ओंधे मुँह गिरे। जयराम सरकार वित्तीय कुप्रबंधन का शिकार हो गई है। अगले साल जुलाई से जीएसटी का पैसा मिलना भी बंद होगा। उन्होंने कहा सरकार कर्मचारियों के वेतन आयोग की सिफ़ारिशें भी टाल रही है जबकि मुख्यमंत्री दो गज भी विना हेलीकाप्टर के नहीं चलते।