विषम परिस्थितियों में कांग्रेस को फ्रंट फुट पर खड़े करने में कामयाब रहे मुकेश अग्निहोत्री, सदन से सड़क तक बनाए रखा खौफ, बैकफुट पर रही सरकार

संदीप उपाध्याय

शिमला. हिमाचल विधानसभा का अंतिम सत्र समाप्त होने के साथ ही अब विधानसभा चुनावों का आगाज हो गया। अब प्रदेश की जनता को अगली सरकार का फैसला करना है। कांग्रेस के नेता पूरे जोश के साथ विजय पताका लहराने के लिए विधानसभा से विधानसभा क्षेत्र की ओर निकल पड़े। कांग्रेसी नेताओं का यह जोश पांच साल तक विपक्ष के नेता के रुप में मुकेश अग्निहोत्री द्वारा सरकार के खिलाफ खेली गई आक्रामक पारी का नतीजा है। मुकेश अग्निहोत्री ने अपने आक्रामक तेवरों से सदन से लेकर सड़क तक सरकार को घेर कर रखा। जिससे विषम परिस्थियों से गुजर रही कांग्रेस हिमाचल प्रदेश में फ्रंटफुट पर खड़ी रही। सरकार पर हमेशा मुकेश अग्निहोत्री का खौफ नजर आया। अग्निहोत्री के द्वारा उठाए गए मुद्दों पर सरकार हमेशा ही बैकफुट पर खड़ी नजर आई। यह मुकेश अग्निहोत्री की सियासी रणनीति और परिपक्व राजनीति का ही परिणाम था कि हर मोर्चे पर सरकार को घेरने में कामयाब रहे। कांग्रेस हाईकमान के द्वारा सौंपी गई जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी के साथ निभाते हुए विपक्ष के नेता के रुप में कामयाब साबित हुए।

 विधानसभा में विपक्षी दल के नेता की भूमिका मुकेश अग्निहोत्री के लिए नयी थी। हिमाचल प्रदेश की सियासत में समान्य तौर पर विपक्षी दल का नेता पूर्व सरकार के मुख्यमंत्री ही होते रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार, प्रेम कुमार धूमल और वीरभद्र सिंह ही विपक्षी दल के नेता होते रहे हैं, कुछ अपवादों को छोड़कर, जिसमें मुकेश अग्निहोत्री शामिल है। विधानसभा चुनाव 2017 में भाजपा को जीत मिली और सरकार बनी। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने विपक्ष के नेता की कमान अगली पीढ़ी के नेता मुकेश अग्निहोत्री को सौंपने का निर्णय लिया। जिस पर कांग्रेस हाईकमान ने भी अपनी मुहर लगाई और कांग्रेसी विधायकों ने भी स्वीकार किया। विपक्ष के नेता की भूमिका निभाने में अपने सियासी अनुभव के कारण कोई कमी नहीं छोड़ी और एक परिपक्व विपक्षी दल के नेता की भूमिका निभाने में कामयाब रहे।

 विपक्षी दल के नेता के रुप में मुकेश अग्निहोत्री भाजपा सरकार को सदन से सड़क तक लगातार घेरते रहे हैं। प्रदेश में खनन या नशा माफिया का मुद्दा हो या बेरोजगारी का मुद्दा, सभी में सरकार को कटघरे में खड़ा करते रहे हैं। प्रदेश में हो रहे महिला उत्पीड़न और रेप के मामलों को भी सदन में उठाया तो महंगाई के मुद्दे पर हमेशा भाजपा की डबल इंजन सरकार को घेरते रहे हैं। मुकेश अग्निहोत्री के द्वारा पूरे दम खम से महंगाई का मुद्दा उठाने से प्रदेश में हुए उपचुनावों में चारों सीटें जीतने में कांग्रेस कामयाब रही है। विधानसभा के आखिरी सत्र में पुलिस भर्ती का पेपर लीक होने का मुद्दा दम खम से उठाया तो ओपीएस का मुद्दा उठाकर कर्मचारियों के साथ खड़े मजबूती से खड़े हुए। इसके साथ ही महंगाई से लेकर बेरोजगारी का मुद्दा उठाकर सदन में सरकार को जमकर घेरा। मुकेश अग्निहोत्री कांग्रेस को हमेशा फ्रंटफुट पर खड़े रखने के लिए सदन के अंदर आक्रामक रुख में अपनी बात रखते रहे तो सदन के बाहर अपने आक्रामक शैली से सरकार को घेरते रहे। सोशल मीडिया का बखूबी उपयोग करते हुए अकेले ही सरकार पर हमलावर रहे। जिससे पूरे पांच साल मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को यदि किसी का खौफ था तो मुकेश अग्निहोत्री का ही रहा। मुख्यमंत्री कांग्रेस के किसी नेता के बयानों पर प्रतिक्रिया कम ही देते थे लेकिन मुकेश अग्निहोत्री के मुद्दों पर जरुर बयान देते रहे। जिससे साबित होता है कि मुकेश अग्निहोत्री की आवाज सरकार के कानों में गूंजती रही और सरकार को परेशान करती रही है।

 विधानसभा में विपक्ष के नेता की भूमिका निभाते हुए मुकेश अग्निहोत्री ने अपने नेतृत्व कौशल का लोहा भी मनवाया। विधानसभा के दौरान सभी कांग्रेस विधायकों को एकजुट कर सरकार में हमला करते रहे। सरकार भले ही लगातार कांग्रेस की गुटबाजी और मुकेश अग्निहोत्री के नेतृत्व को चुनौती देती रही लेकिन पूरे पांच साल वह विधायक दल के नेता के रुप में जमे रहे। अग्निहोत्री ने सदन में कांग्रेस पार्टी के सीनियर सदस्यों आशा कुमारी, रामलाल ठाकुर, जगत सिंह नेगी, हर्षवर्धन चौहान को सम्मान दिया तो अपने साथी विधायकों के मुद्दों पर ताकत के साथ खड़े रहे। सदन में कुल्लू के विधायक सुंदर ठाकुर, ऊना के विधायक सतपाल सत्ती और किन्नौर के विधायक जगत सिंह नेगी के मुद्दों को लेकर सीधे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से टकराकर लड़ाई लड़ी। जिससे अपने साथ विधायकों का भी भरोसा जीता कि नेता ऐसा हो जो उनके मुद्दों को लेकर सरकार से लड़े। अपने कुशल नेतृत्व प्रबंधन के कारण ही मुकेश अग्निहोत्री पूरे पांच साल अपने साथी विधायकों को एकजुट करने में कामयाब रहे। यह उनकी बहुत बड़ी उपलब्धि है।

 विधानसभा के अंतिम सत्र का विदाई भाषण भी मुकेश अग्निहोत्री ने बड़ी परिपक्वता के साथ दिया। मुकेश अग्निहोत्री के लगातार पांच साल तक सरकार को घेरने के लिए अपनाए गए आक्रामक रुख का फायदा कांग्रेस को आगामी विधानसभा चुनावों में मिलेगा। जिसके लिए सभी विधायक अब फिर से चुनावी मोड में आकर अपने विधानसभा क्षेत्रों को निकल पड़े हैं।