मुकेश अग्निहोत्री : पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए पढ़ाई ट्यूशन, पत्रकार बने, अब प्रदेश के उप मुख्यमंत्री

 

पत्रकार बने तो पिता हो गए नाराज, एक साल तक घर नहीं गए मुकेश, जब पत्रकार के रुप में नाम कमाया
तब गए पिता से मिलने

संर्घष से सफलता हासिल करने की कहानी मुकेश अग्निहोत्री की भी गजब की है। मुकेश अग्निहोत्री भी एक समान्य परिवार
से आते हैं। उनके पिता भी सरकारी नौकरी में थे। मुकेश अग्निहोत्री ने शिमला आकर पढ़ाई शुरु की और अपनी पढ़ाई का
खर्च निकालने के लिए बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते थे। अग्निहोत्री ने बताया कि वह अपने एक मित्र के साथ किराए के मकान में
रहते थे और बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई का खर्च खुद निकालते थे। घर वालों से कोई पैसा नहीं लेते थे। ट्यूशन
पढ़ाने के साथ ही मुकेश अग्निहोत्री के पिता चाहते थे कि वह सरकारी नौकरी में लग जाए लेकिन अचानक मुकेश
अग्निहोत्री पत्रकार बन गए। मुकेश अग्निहोत्री के पत्रकार बनने के बनने के निर्णय उनके पिता खासे नाराज थे। मुकेश
अग्निहोत्री के पिता सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में अधिकारी थे, जिससे वह पत्रकारों के आर्थिक हालात से वाकिफ थे।
जिससे वह नहीं चाहते थे कि मुकेश अग्निहोत्री पत्रकार बने, लेकिन मुकेश अग्निहोत्री अपने पत्रकार बनने के निर्णय से पीछे
नहीं हटे। मुकेश अग्निहोत्री बताते हैं कि पत्रकार बनने पर पिता की नाराजगी के कारण वह एक साल तक अपने घर नहीं
गए। एक साल कड़ी मेहनत कर जब पत्रकार के रुप में पहचान बनाई, तब अपने पिता से मिलने गए। मुकेश बताते हैं कि
जब पत्रकार के रुप में उन्होंने एक पहचान बनाई तब उनके पिता बहुत खुश हुए। मुकेश अग्निहोत्री ने कड़ी मेहनत के साथ
एक पत्रकार के रुप में पहचान बनाई। जनसत्ता अखबार में मुकेश अग्निहोत्री की खबरों को असर भी होता रहा और चर्चा
भी होती रही। अपनी तीखी कलम के दम पर मुकेश अग्निहोत्री के राजनेताओं के साथ संबंध भी बेहतर हुए। कांग्रेस
सरकार के समय मुकेश अग्निहोत्री तात्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के करीब आए और उनसे बेहतर संबंध बनाए।
अचानक जनसत्ता का हिमाचल प्रदेश में प्रकाशन बंद हो गया तो मुकेश अग्निहोत्री का तबादला दिल्ली हो गया। दिल्ली में
भी अपनी पत्रकारिता के दम पर अलग पहचान बनाई। दिल्ली में कांग्रेस पार्टी की कवरेज करते रहे जिससे कांग्रेसी नेताओं
के संपर्क में आए और कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ बेहतर संबंध स्थापित किए। दिल्ली में कांग्रेसी नेताओं से बेहतर संबंध
होने के कारण राजनीति में आने का सोचा और कांग्रेस के टिकट लेकर फिर दिल्ली से हिमाचल का राजनैतिक सफर शुरु
किया। पहली बार 2003 में संतोषगढ़ विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। इसके बाद जनता के
लोकप्रियता हासिल कर लगातार पांचवीं बार विधानसभा का चुनाव जीते। मुकेश अग्निहोत्री ने सरकार में मंत्री बनने पर
अपने विधानसभा क्षेत्र हरोली में जनता की समस्याओं का समाधान करने के साथ-साथ बहुत विकास किए। स्कूल
खुलवाए, अस्पताल बनवाएं, पेयजल और सिचाई योजनाएं चालू की, औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया। जिससे मुकेश
अग्निहोत्री के विधानसभा क्षेत्र में विकास दिखने लगा और हरोली एक विकास मॉडल के रुप में उभरा। अपने विकास के
दम पर मुकेश अग्निहोत्री जनता के बीच लोकप्रिय हुए और लगातार उनको मिलने वाले वोट भी बढ़े और जीत का मार्जिन
भी लगातार बढ़ता गया। 2022 के चुनावों में मुकेश अग्निहोत्री को 38652 वोट हासिल किए और करीब दस हजार वोटो
से जीत दर्ज की। मुकेश अग्निहोत्री को हरोली की जनता का यह प्यार उनके विकास के दम पर ही मिल रहा है।

अपने दम पर लड़ी लड़ाई, बने उप मुख्यमंत्री
मुकेश अग्निहोत्री ने अपने 25 साल के राजनैतिक सफर में प्रदेश स्तरीय नेता के रुप में स्थापित होने में सफलता भी
हासिल की है। 2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। जिससे राहुल गांधी ने पार्टी के
सीनियर नेताओं को दरकिनार कर मुकेश अग्निहोत्री को विधानसभा में विपक्ष का नेता बनाया। पार्टी के राष्ट्रीय नेता
राहुल गांधी के द्वारा विपक्ष के नेता की सौंपी गई जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए मुकेश अग्निहोत्री ने पूरी दम लगा दी।
पूरे पांच साल सदन से लेकर सड़क तक सरकार के खिलाफ जमकर लड़ाई लड़ी। जनहित के हर मुद्दे को उठाकर सरकार
को घेरने में हमेशा कामयाब रहे है। प्रदेश में उपचुनाव हुए तो प्रदेश भर में प्रचार किया। मंडी संसदीय क्षेत्र में लगातार
31 दिन प्रचार में डटे रहे और मंहगाई, बेरोजगारी के मुद्दे को उठाकर जयराम सरकार को घेरा। जिसके कारण तीन
विधानसभा और एक लोकसभा के उपचुनावों में कांग्रेस चारों सीटें जीती और सरकार को हार का सामना करना पड़ा।
जिससे साफ हो गया था कि आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा की हार तय है। जिससे मुकेश अग्निहोत्री ने सरकार
पर हमला तेज कर प्रदेश स्तरीय प्रचार शुरु कर दिया। मुकेश अग्निहोत्री कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच प्रदेश के
नेता के रुप में उभरे। हर विधानसभा क्षेत्र में मुकेश अग्निहोत्री की रैलियों की डिमांड बढ़ गई। मुकेश अग्निहोत्री ने पूरी
ताकत के साथ कांग्रेस पार्टी को मजबूत विपक्ष के रुप में खड़ा किया और चुनाव में उतरे। प्रदेश भर में प्रचार किया।
जिसका परिणाम सामने आया कि विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने जीत दर्ज की। कांग्रेस के जीतने पर कांग्रेस नेताओं के
बीच मुख्यमंत्री पद की लड़ाई शुरु हुई। मुकेश अग्निहोत्री अपने दम पर विधायकों के समर्थन से हाईकमान के समक्ष
मुख्यमंत्री पद की दावेदारी करते रहे। लेकिन हाईकमान ने सुक्खू को मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय लिया। मुकेश अग्निहोत्री
ने हाईकमान के निर्णय को सरमाथे पर रखकर उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

मुकेश अग्निहोत्री प्रदेश के एकमात्र कांग्रेस नेता, जो पांचवीं बार लगातार जीतकर पहुंचे विधानसभा
मुकेश अग्निहोत्री ही प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के एक मात्र नेता हैं जो लगातार पांचवीं बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे
हैं। मुकेश अग्निहोत्री ने पहली बार संतोषगढ़ विधानसभा क्षेत्र से 2003 में चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। पहली बार ही
विधायक बनने पर मुकेश अग्निहोत्री मुख्य संसदीय सचिव बने। इसके बाद लगातार पांचवीं बार जीत दर्ज विधानसभा
पहुंचने वाले वह कांग्रेस के एक मात्र नेता हैं। मुख्यमंत्री पद पर विराजमान हुए सुखविंदर सिंह सुक्खू तीसरी बार
विधायक बने हैं लेकिन वह दो चुनाव हार भी चुके हैं।
मुकेश अग्निहोत्री का जन्म स्वर्गीय ओंकार चन्द शर्मा के घर 9 अक्तूबर, 1962 को हुआ। वह मूल रूप से गाँव व डाकघर
गोंदपुर, जिला ऊना से संबंध रखते हैं। उन्होंने बी.एस.सी., लोक सम्पर्क एवं विज्ञापन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा और
एम.एस.सी गणित की शिक्षा ग्रहण की है। उन्होंने लगभग 15 वर्षों तक देश के विभिन्न प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में कार्य
किया। वह हिमाचल प्रदेश सरकार की प्रेस प्रत्यायन कमेटी के सदस्य, राज्य प्रेस सलाहकार समिति के सदस्य, हि.प्र.
विधानसभा की प्रेस गैलरी समिति के सदस्य और राज्य सरकार की पहाड़ी भाषा समिति के सदस्य रह चुके हैं। इसके
अलावा, वह प्रेस क्लब, शिमला, हिमाचल प्रदेश कांग्रेस समिति के महासचिव और प्रदेश कांग्रेस समिति के मीडिया सैल
के महासचिव रह चुके हैं।मार्च, 2003 में वह पहली बार संतोखगढ़ (अब हरोली) विधानसभा से प्रदेश विधानसभा के
लिए निर्वाचित हुए। उसके उपरांत वह वर्ष 2007, 2012, 2017 और 2022 में प्रदेश विधानसभा सदस्य के रूप में
पांचवीं बार निवाचित हुए। मुकेश अग्निहोत्री 2003 से 2005 तक मुख्य संसदीय सचिव तथा हिमाचल प्रदेश सरकार के
आवास बोर्ड के अध्यक्ष नियुक्त किए गए। दिसंबर 2012 से 2017 के कार्यकाल के दौरान उन्होंने प्रदेश के उद्योग, श्रम एवं

रोज़गार, संसदीय मामले और सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग मंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दीं। वर्ष 2017 से 2022 तक
वह सदन में नेता प्रतिपक्ष रहे। दिसंबर, 2022 में वह 14वीं विधानसभा के लिए पुनः निर्वाचित हुए हैं और प्रदेश के उप-
मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाला है।