पितृ पक्ष में बन रहे हैं खास शुभ संयोग !

– गुरमीत बेदी

20 सितंबर से पितृपक्ष आरंभ हो चुका है और हिंदू धर्म में पितृ पक्ष यानी श्राद्ध पक्ष को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है. पितृ पक्ष में पितरों को याद कर उनके प्रति आभार व्यक्त किया जाता है.
हमारे जो पूर्वज अपनी देह का त्याग कर चले जाते हैं , पितृ पक्ष में उनकी आत्मा की शांत के लिए तर्पण किया जाता है. इसे श्राद्ध भी कहा जाता है. श्राद्ध का अर्थ श्रद्धा पूर्वक भी होता है. यानी पूरी श्रद्धा से किया जाने वाला कार्य। वायु पुराण और वराह पुराण में श्राद्ध कर्म के बारे में विस्तार से बताया गया है. पितृ पक्ष के महत्व के बारे में पुराणों में वर्णन मिलता है.

मैं आज की इस पोस्ट में कुंडली टीवी के दर्शकों को यह बताना चाहूंगा कि इस साल 20 सितंबर से पितृपक्ष आरंभ हो चुका है और 6 अक्टूबर को यह खत्म होगा । इस बार पितृ पक्ष में कई शुभ संयोग बन रहे हैं।
मैं पाठकों को यह बताना चाहता हूं कि शास्त्रों के अनुसार, शुभ संयोगों में पितरों का श्राद्ध करने से कार्यों में सफलता, परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है। कहते हैं कि शुभ योग में किया गया तर्पण और पिंडदान पितृ दोष से मुक्ति दिलाता है।

इस साल पितृ पक्ष में सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग के साथ अमृत योग जैसे खास संयोग बन रहे हैं।   इस बार पित्र पक्ष में 2 दिन अमृत सिद्धि योग रहेगा। 2 दिन ही रवि योग रहेगा और 6 दिन स्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। मैं बताना चाहूंगा कि पितृ पक्ष की 27 और 30 सितंबर को अमृत सिद्धि योग बन रहा है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अमृत सिद्धि योग में किए गए कार्यों में सफलता हासिल होती है। वैसे तो पितर पक्ष में मांगलिक कार्य बिल्कुल नहीं होते लेकिन जहां तक अमृत सिद्धि योग का सवाल है , अमृत सिद्धि योग मांगलिक कार्यों के लिए बेहद शुभ संयोग है। इस योग में किसी भी नए कार्य को प्रारंभ करना शुभ होता है।

पितर पक्ष में 26 और 27 सितम्बर को रवि योग बन रहा है। रवि योग को बेहद प्रभावशाली माना जाता है। इस योग को शुभ फलदायी माना जाता है। कहा जाता है कि इस योग में सभी दोषों का नाश हो जाता है। पितृ पक्ष में रवि योग का पड़ना बेहद कल्याणकारी माना जाता है।

इस बार पितर पक्ष में 6 दिन स्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। मैं तिथियों के बारे में यह बताना चाहूंगा कि पितृ पक्ष की 21, 23, 24, 27, 30 सितंबर और 6 अक्टूबर को सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। कहते हैं कि यह योग सभी इच्छाओं को पूरा करने वाला होता है। इस योग में शुक्र अस्त और भद्रा का कोई विचार नहीं रहता है।

पितृ पक्ष में विधि पूर्वक पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने से जीवन में आने वाली परेशानियां दूर होती हैं. पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. पितृ पक्ष में किए जाने वाले श्राद्ध से पितृ प्रसन्न होते हैं और उनकी आत्मा को शांति मिलती है.

मान्यता है कि पितृ पक्ष में मृत्युलोक के देवता यमराज आत्मा को मुक्त कर देते हैं, ताकि वे अपने परिजनों के यहां जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें. पितृ पक्ष में पितरों को याद किया जाता है.

पितृ पक्ष का समापन 6 अक्टूबर बुधवार को आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को होगा. इस दिन को आश्विन अमावस्या, बड़मावस और दर्श अमावस्या भी कहा जाता है.

– गुरमीत बेदी Contact no 9418033344