मुख्यमंत्री जयराम कैबिनेट में फेरबदल की अटकलें, मंत्रियों के रिपोर्ट कार्ड में लाल निशान, कुर्सी बचाने में जुटे मंत्री

शिमला. प्रदेश में हुए उपचुनावों में सत्ताधारी दल भाजपा को मिली हार के बाद सरकार और संगठन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। हार पर सरकार और संगठन में मंथन चल रहा है और भाजपा कोर कमेटी भी मंथन करेगी। सरकार रहते हुए चारों सीटों पर हार मिलने से सरकार के मिशन रिपीट को भी झटका लगा है। अब कैसे मिशन रिपीट के लिए तैयारी की जाए, इसकी रणनीति हार के मंथन के बाद ही बनेगी। हार के क्या कारण रहे हैं, उनमें सुधार कर भाजपा मिशन रिपीट के लिए उतरने की रणनीति बनाएगी। हार के मंथन के बीच सत्ता और संगठन में बदलाव की अटकलें भी लग रही हैं। चुनाव परिणाम आने के बाद से ही सियासी चर्चाओं में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की कैबिनेट में शामिल दो या तीन मंत्रियों को बदलने और कई मंत्रियों के विभागों में फेरबदल की अटकलें लग रही हैं। परिणाम आए हुए 15 दिन से अधिक हो गए लेकिन अभी तक बदलाव नहीं हुआ। भाजपा हाईकमान जल्दबाजी में बदलाव कर यह संकेत नहीं देना चाहती कि हार के कारण मंत्रियों को हटाया गया। इस कारण अभी हार पर मंथन चल रहा है और रिपोर्ट हाईकमान तक पहुंचाई जा रही है। यह तय है कि मंत्रिमंडल में बदलाव होगा लेकिन कब होगा, इसका निर्णय तो भाजपा हाईकमान ने ही करना है। सियासत में संभावना जताई जा रही है कि यह बदलाव दिसंबर या जनवरी तक हो सकती है।

प्रदेश में जुब्बल कोटखाई, फतेहपुर और अर्की में विधानसभा के तो मंडी संसदीय क्षेत्र में लोकसभा का उपचुनाव हुआ। इन उपचुनाव में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सत्ता का सेमीफाइनल माना जा रहा है, जिसमें भाजपा हार गई है। उपचुनाव में फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र में मंत्री विक्रम ठाकुर और राकेश पठानिया मोर्चा संभाले हुए थे तो अर्की में मंत्री सहजल ने कमान संभाली थी। वहीं जुब्बल कोटखाई में मंत्री सुरेश भारद्वाज प्रमुख रुप से कमान संभाले हुए थे तो सुखराम चौधरी भी प्रचार में डटे रहे। वहीं मंडी संसदीय क्षेत्र में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कमान संभाल रखी थी। इसके साथ ही मंत्री महेंद्र सिंह, गोविंद ठाकुर, रामलाल मार्कंडेय भी मंडी संसदीय क्षेत्र में प्रचार करते रहे। सरकार में मंत्री सरवीन चौधरी और राजेंद्र गर्ग प्रचार में तो थे लेकिन कम ही नजर आए। इस तरह पूरी सरकार चुनाव प्रचार में लगी रही लेकिन नतीजा हार के रुप में सामने आया। प्रदेश के हुए उपचुनाव में ऐसा माना जाता है कि सत्ताधारी दल के प्रत्याशियों को ही विजय मिलेगी और इसी तरह के परिणाम आते भी रहे हैं। शायद यह पहला मौका हो कि जब सत्ता धारी दल को चारों सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। चारों सीटों पर मिली हार निश्चित तौर पर भाजपा सरकार और संगठन के लिए बड़े झटके से कम नहीं है। जब सरकार और संगठन तो झटका लगा तो तय है कि सत्ता और संगठन की कुर्सियों में विराजमान लोगों की कुर्सी को भी झटका लगेगा।

उपचुनाव में मिली हार के प्रारंभिक मंथन में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सरकार के मंत्रियों से जवाब तलबी की है। इसके साथ ही भाजपा विधायकों से भी सवाल किए गए है कि आखिर क्या कारण हैं कि भाजपा प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा। इसी जवाब तलबी के बीच सरकार के दो या तीन मंत्रियों को बदलने और कुछ के विभागों में फेरबदल करने की अटकलें लगने लगीं। सरकार के दो मंत्रियों ने भी राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्‌डा से मुलाकात की। मंत्रियों की यह मुलाकात औपचारिक भेंट थी या फिर चुनाव में मिली हार की जवाब तलबी के लिए थी, इसको तो मंत्री ही जानते हैं लेकिन इन मुलाकातों से अटकलें और तेज हो गईं। सरकार के कई मंत्रियों की परफॉर्मेंश पर पहले से ही सवाल उठते रहे हैं लेकिन अब हार के बाद उनका हटना तय माना जा रहा है। सरकारी सूत्रों के अनुसार कई मंत्रियों के रिपोर्ट कार्ड में लाल निशाना आया है, इस कारण उन मंत्रियों की कुर्सी पर खतरा मंडरा रहा है। जिनमें कांगड़ा संसदीय क्षेत्र के एक मंत्री भी शामिल हैं। जिनके मंत्रिमंडल से हटने की अटकलें पहले भी लगीं थीं लेकिन हाईकमान के समक्ष अपना मजबूत पक्ष रखने के कारण कुर्सी बच गई थी। लेकिन उनका नंबर लग सकता है। इसी तरह हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से भी एक मंत्री की परफॉरमेंश के साथ कार्यप्रणाली पर सवाल उठते रहे हैं। जिससे संभावना है कि उनकी कुर्सी को भी खतरा है। हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के एक और मंत्री की परफॉरमेंश पर सवाल तो हैं लेकिन पार्टी के राष्ट्रीय नेता के करीबी होने के कारण उनकी कुर्सी पर संकट नजर नहीं आता। इसी प्रकार शिमला और मंडी संसदीय क्षेत्र से सरकार में शामिल एक –एक मंत्री का भी रिपोर्ट कार्ड सही नहीं है। इस कारण इन मंत्रियों की कुर्सी पर खतरा मंडरा रहा है।

अब देखना है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर अपनी कैबिनेट से किन मंत्रियों को हटाने और किनके विभागों में फेरबदल का निर्णय लेते हैं। मंत्रीमंडल का गठन प्रदेश के जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को ध्यान में रखकर किया जाता है। मंत्रिमंडल में जातीय और क्षेत्रीय समीकरण के संतुलन बनाकर सभी वर्ग और सभी क्षेत्रों को प्रतिनिधित्व देने का प्रयास होता है। जिससे सरकार पर यह सवाल न उठे कि प्रदेश के उस वर्ग या उस क्षेत्र को प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है। लेकिन जातीय और क्षेत्रीय समीकरण के साथ-साथ कैबिनेट में शामिल मंत्रियों की परफॉरमेंश भी बहुत महत्वपूर्ण है। कैबिनेट में शामिल सभी मंत्रियों के सामूहिक विकास कार्यों के कारण ही सरकार की जनता के बीच बेहतर छवि बनती है। मंत्रियों को मिलने वाले हर विभाग से प्रदेश के लाखों लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से फायदा मिलता है। इस कारण अपने विभागों में बेहतर कार्य करने से ही सरकार की छवि बेहतर बनती है। इन सब समीकरणों में संतुलन बैठाकर कैबिनेट में फेरबदल करना मुख्यमंत्री के लिए चुनौती तो है ही लेकिन मिशन रिपीट के लिए सरकार को ऐसा निर्णय लेना होगा, जिससे जनता के बीच नई रणनीति के साथ बेहतर कार्य किया जा सके और मिशन रिपीट को कामयाब किया जा सके।