चुनौतियों के पहाड़ से लड़ने धर्मशाला के सियासी मैदान में उतरे सुधीर शर्मा

शिमला. प्रदेश की सियासत में स्मार्ट चेहरा लिए स्मार्ट राजनीति करने वाले सुधीर शर्मा अब फिर धर्मशाला के सियासी मैदान में उतरे चुके हैं। चेहरे की मुस्कान के पीछे सियासी चालों को दिल में छिपाए रहने वाले सुधीर शर्मा के सामने धर्मशाला में चुनौतियों का पहाड़ खड़ा है। यह पहाड़ सिर्फ और सिर्फ इसलिए खड़ा हुआ है कि गत विधानसभा चुनाव हारने के बाद धर्मशाला में हुए उपचुनाव में वह चुनावी मैदान में नहीं उतरे। उपचुनाव लड़ने से मना करने से ही सुधीर शर्मा के सामने अब फिर चुनावी रण में आने से कई चुनौतियां सामने आ गईं हैं। सुधीर शर्मा ने चुनाव क्यों नहीं लड़ा, व्यक्तिगत कारण वह ही जानते हैं लेकिन सियासत में यह बात आई की वह हार के डर से चुनाव लड़ने से भाग गए। प्रदेश में उपचुनाव का इतिहास ही रहा है कि सत्ता धारी दल की ही जीत होती आई है और भाजपा ने ही धर्मशाला में जीत दर्ज की। कांग्रेस की हार के बाद भी सुधीर शर्मा के चुनौती खड़ी हो गई है। अपने लंबे सियासी अनुभव के कारण सुधीर शर्मा सियासत की चालों को बेहतर तरीके से समझते हैं। चुनाव जीतने के लिए क्या –क्या करना होता है, वह जानते हैं। इसलिए वह अभी से धर्मशाला में सक्रिय हो गए हैं। सुधीर शर्मा को नजदीक के जानने वाले जानते हैं कि वह हर चुनौतियों का सामना करने के काबिल हैं। सही समय पर जनता के बीच पहुंचकर वह फिर से खोई हुए राजनैतिक जनाधार को हासिल करने में जुटे गए हैं।

सुधीर शर्मा अपने पिता स्वर्गीय संतराम की राजनैतिक विरासत को संभालते हुए राजनीति में आए और बैजनाथ से चुनाव लड़कर विधायक बने। बैजनाथ विधानसभा रिजर्व होने के कारण सुधीर शर्मा नए विधानसभा क्षेत्र को तलाशने में जुटे। जिसमें वह पहले पालमपुर में सियासी जमीन तलाश रहे थे लेकिन बाद में 2012 में धर्मशाला से टिकट हासिल करने में कामयाब रहे। सुधीर शर्मा प्रदेश के 6 बार मुख्यमंत्री रहे दिवंगत वीरभद्र सिंह के बहुत करीबी रहे हैं। धर्मशाला से चुनाव जीते तो वीरभद्र सरकार में मंत्री बनने से सुधीर शर्मा का सियासी कद बढ़ गया। तात्कालीन मुख्यमंत्री के करीबी होने के कारण धर्मशाला में विकास के नए आयाम स्थापित किए। धर्मशाला को प्रदेश की दूसरी राजधानी का दर्जा दिलाया तो नगर निगम भी बनाया। धर्मशाला को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में शामिल कराकर शहर के विकास में करोड़़ों खर्च किए। जिस पर कई सवाल भी उठे। पैराग्लाइडिंग के विश्वकप का आयोजन भी कराया। सत्ता में रहकर बहुत काम किए लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में सुधीर शर्मा चुनाव हार गए। कांग्रेस की सियासत में भावी मुख्यमंत्री के रुप में देखे जाने वाले सुधीर शर्मा विधानसभा चुनाव हारने के साथ ही कांग्रेस की सियासत में काफी पीछे हो गए। वह संगठन में कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव के पद पर विराजमान तो हुए लेकिन प्रदेश की सियासत में सक्रियता कम ही रहे। विधायक नहीं रहे तो विधायकों के बीच की राजनीति में भी पीछे रहे। लोकसभा चुनाव में धर्मशाला के विधायक किशन कपूर भाजपा प्रत्याशी बने और जीत कर दिल्ली चले गए। धर्मशाला में विधानसभा के उपचुनाव होने पर सुधीर शर्मा मैदान से हट गए और कांग्रेस को नया प्रत्याशी मैदान में उतारना पड़ा। चुनाव न लड़ने के निर्णय और चुनाव में सक्रियता न दिखाने के कारण सुधीर शर्मा की कार्यप्रणाली पर कई सवाल उठे। उपचुनाव में कांग्रेस की बुरी तरह हार हुई जिससे पर सुधीर शर्मा को कहीं न कहीं जिम्मेदार माना गया। इस दौरान सुधीर शर्मा के भाजपा मं6 जाने की चर्चाएं तेज हुई जो निराधार ही रहीं। लेकिन सवाल पर सवाल उठते रहे। आगामी चुनावों में टिकट के दावेदारों में सुधीर शर्मा के साथ उपचुनावों में प्रत्याशी रहे विजय इंद्र भी शामिल होंगे। इसके साथ धर्मशाला नगर निगम के पूर्व मेयर जग्गी भी दावेदारी कर सकते हैं। जिससे यह साफ है कि सुधीर शर्मा को टिकट हासिल करने में भी चुनौती का सामना तो करना ही होगा। सब जानते हैं कि सुधीर शर्मा की राजनैतिक पकड़ दिल्ली हाईकमान में मजबूत है और वह टिकट लेने में कामयाब होंगे लेकिन टिकट की लड़ाई चुनावों के समय चुनावी गुटबाजी में बदली तो मुश्किल तो होगी ही।
अब प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 के लिए तैयारियां शुरु हो गईं हैं। जिससे अब सुधीर शर्मा भी चुनावी मैदान में उतरे चुके हैं। सुधीर शर्मा की ओर से सोशल मीडिया में एक पोस्ट शेयर की गई है। जिसमें उन्होंने कहा है कि ‘धर्मशाला कर्मभूमि के साथ-साथ घर भी है, धर्मशाला विधानसभा की जनता परिवार है। धर्मशाला विधानसभा की जनता के हर सुख दुख में साथ था, हूँ और रहूंगा। 2022 चुनाव के लिए तैयार रहिये, मिल कर लड़ेंगे और मिल कर जीतेंगे यह चुनावी रण, किसी भी तरह की समस्या या काम के लिए दाड़ी स्तिथ आफिस में सुबह 10 से 4 बजे तक आ सकते है साथ ही 01892-357098 नम्बर पर सम्पर्क कर सकते हैं। अपनी जनता की सेवा व सहायता ही ध्येय व कार्य है। आपका आशिर्वाद व साथ ही ताकत है। ‘
इस तरह सुधीर शर्मा ने सीधे तौर पर चुनाव का ऐलान कर दिया है। एकजुटता की बात के साथ जनता के समस्या सुनने की बात की है। सबसे बड़ी बात है कि सुधीर शर्मा ने एक फोन नंबर भी सार्वजनिक किया है जिस पर जनता संपर्क कर सकती है। मंत्री रहते हुए जनता की यह शिकायत प्रमुख थी कि सुधीर शर्मा फोन नहीं सुनते। लेकिन अब लैंडलाइन नंबर दिया है जिससे जनता की आवाज सुधीर शर्मा तक पहुंचेगी। राजनीति के बड़े खिलाड़ी सुधीर शर्मा में सियासी चुनौतियों को सामना करने का काबिलियत तो है, जिससे उम्मीद की जा सकती है कि वह धर्मशाला में खोए हुए जनाधार को वापस लाने में कामयाब होंगे और विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कर फिर प्रदेश की सियासत का बड़ा चेहरा बनकर सामने आएंगे।