सुक्खू ने मुख्यमंत्री पद का विशेषाधिकार खड़गे और वेनुगोपाल के हवाले किया, पूर्व मुख्यमंत्री पर लगाते रहे रिमोट कंट्रोल से चलने का आरोप, अब क्या कहेंगे

शिमला. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के 25 दिन बाद भी कैबिनेट का गठन नहीं हो पा रहा है। आए दिन अटकलें लग रहीं हैं कि अब मंत्रीमंडल का गठन होगा, लेकिन फिर टल जाता है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू भी स्पष्ट नहीं बता पा रहे कि कब मंत्रीमंडल का गठन होगा। मंत्री मंडल का गठन करना मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार होता है। लेकिन परदे के पीछे यह विशेषाधिकार का उपयोग पार्टी हाईकमान ही करती है। लेकिन आज सुक्खू ने दिल्ली से लौटकर मीडिया से बातचीत में साफ कर दिया कि मंत्रीमंडल गठन का अंतिम निर्णय कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे और महासचिव संगठन वेनुगोपाल ही लेंगे। सुक्खू ने कहा कि उन्होंने पूरे 10 मंत्रियों को बनाने की सूची खड़गे और वेनुगोपाल को सौंप दी है। वहां से कैबिनेट की सूची फाइनल होने के बाद ही मंत्रीमंडल का गठन होगा। सूची आज आ जाएगी तो कल मंत्रिमंडल का गठन हो जाएगा नहीं तो बाद में होगा। मुख्यमंत्री सुक्खू मंत्रीमंडल के गठन को लेकर खड़गे और वेनुगोपाल के निर्णय की बात भी कर रहे हैं और राहु काल की भी बात कर रहे हैं। जिससे मुख्यमंत्री का बयान में कोई स्पष्टता नजर नहीं आ रही है। यह वहीं कांग्रेस के मुख्यमंत्री हैं जो पिछले पांच साल लगातार पूर्व भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पर दिल्ली के रिमोट कंट्रोल या संघ के रिमोट कंट्रोल से चलने के आरोप लगाते रहेंगे। अब कांग्रेस सरकार का रिमोट कंट्रोल दिल्ली के नेताओं के हाथों में हैं, जिसे मुख्यमंत्री सुक्खू साफ तौर पर कह रहे हैं।

मंत्रीमंडल का गठन करना मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है। वह अपने निर्णय से मंत्री बनाने का निर्णय और मंत्रियों को विभाग बांटने का विशेषाधिकार रखते हैं। लेकिन किसी भी राजनैतिक दल में मुख्यमंत्री को इस विशेषाधिकार का उपयोग करने नहीं मिलता। कांग्रेस हो या भाजपा, सभी दलों में हाईकमान तय करता है कि कौन नेता मंत्रीमंडल में शामिल होगा। मंत्रिमंडल गठन करने के विशेषाधिकार का उपयोग हाईकमान परदे के पीछे करता है। लेकिन कांग्रेस की सरकार बनने पर लंबे समय तक मंत्रीमंडल का गठन न होने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। कैबिनेट में किन विधायकों को शामिल कर मंत्री बनाना है, इसका निर्णय मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू नहीं ले पा रहे हैं। यह कारण है कि सरकार बनने के 25 दिन बाद भी मंत्रीमंडल का विस्तार नहीं हो पा रहा है। यही कारण है कि विधानसभा चुनाव में जीता हुआ हर विधायक दिल्ली हाईकमान के समक्ष लॉबिंग कर कुर्सी हासिल करने के प्रयास कर रहा है। जिससे साफ दिख रहा है कि प्रदेश कांग्रेस को कोई भी नेता ऐसा नहीं है, जिसे सभी विधायक अपना नेता स्वीकार कर रहे हों। सार्वजनिक रुप से कुर्सी पाने के लिए कई विधायक मुख्यमंत्री सुक्खू की तारीफो के पुल जरुर बांध रहे हैं लेकिन मंत्री पद पाने के लिए हाईकमान के समक्ष ही लांबिग कर रहे हैं।

जब तक मंत्री मंडल का गठन नहीं हो जाता तब तक सवाल उठते रहेंगे, जो सही भी है। हिमाचल में इतिहास में यह पहली बार ही है कि सरकार बनने के 25 दिन बाद तक पूरी कैबिनेट का गठन नहीं हो सका है। सुक्खू भले की कैबिनेट गठन पर देरी के सवाल पर सफाई दें कि यही तो व्यवस्था परिवर्तन है, लेकिन उनकी सफाई जनता को सवालों का सही जवाब नहीं है। सुक्खू के आज के बयान से साफ हो गया है कि वह भी कैबिनेट गठन के मुद्दे पर हाईकमान के रिमोट कंट्रोल से चल रहे हैं।