जिन लोगों ने आपातकाल के खिलाफ आवाज उठाई , उन्हें हमेशा याद रखा जाना चाहिए : मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर

मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा कि आपातकाल स्वतंत्र भारत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जिन लोगों ने आपातकाल के खिलाफ आवाज उठाई और कड़ा संघर्ष किया उन्हें हमेशा याद रखा जाना चाहिए। यह बात आज मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आपातकाल के दौरान जेल गए व्यक्तियों द्वारा दिए गए योगदान को सम्मान देने के लिए राज्य सरकार द्वारा आयोजित लोकतंत्र प्रहरी सम्मान समारोह में कही।

उन्होंने कहा कि आम तौर पर लोग कठिन समय को भूल जाते हैं लेकिन आपातकाल के समय को कभी नहीं भूलना चाहिए क्योंकि इस दौर से बहुत कुछ सीखने को मिला है। उन्होंने कहा कि आपातकाल हमारे इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और युवाओं और भावी पीढ़ी को इससे परिचित होना चाहिए।

जय राम ठाकुर ने कहा कि जिन लोगों को आपातकाल के दौरान जेलों में बन्द किया गया था उन्हें सम्मानित करने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार ने वर्ष 2019 में लोकतंत्र प्रहरी सम्मान योजना शुरू करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि 20 मार्च, 2021 को राज्य सरकार ने हिमाचल विधानसभा में हिमाचल प्रदेश लोकतंत्र प्रहरी बिल-2021 पास किया है। उन्होंने कहा कि इससे अब आपातकाल के दौरान राज्य के जो लोग जेल में गए थे उन्हें सम्मान राशि मिल सकेगी।

उन्होंने कहा कि 25 जून, 1975 की आधी रात को आपातकाल लगाया गया था जो 21 मार्च, 1977 तक 21 माह तक रहा। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति अपना-अपना कार्य कर रहा था और हालात सामान्य थे। कानून व्यवस्था की स्थिति नियंत्रण में थी और आपातकाल लगाने की कोई आवश्यकता नहीं थी। उन्होंने कहा किसी ने भी इसके बारे में सोचा नहीं था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इन्दिरा गांधी ने रायबरेली लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और भारी अन्तर से जीती, जिसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इन्दिरा गांधी को चुनावी भ्रष्टाचार का दोषी पाया और रायबरेली लोकसभा क्षेत्र के चुनावी निर्णय को खारिज कर दिया और छः साल के लिए निर्वाचित पद पर रहने की रोक लगा दी। उन्होंने कहा कि इन्दिरा गांधी सत्ता छोड़ने के लिए तैयार नहीं थीं इसलिए आपातकाल लगाया गया था।

जय राम ठाकुर ने कहा कि आपातकाल के दौरान सरकार ने आम लोगों को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित कर दिया था और कोई भी व्यक्ति सरकार के खिलाफ आवाज नहीं उठा सकता था। बहुत से निर्दोष लोगों को बिना किसी कारण के जेल में डाल दिया गया। उन्होंने कहा कि समाचार पत्रों और अन्य मीडिया माध्यमों पर संेसरशिप लगा दी गई थी।

उन्होंने कहा कि इस घटना को 45 वर्ष बीत गए हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष 25 जनवरी, 2021 को राज्य ने भी अपने पूर्ण राज्यत्व के 50 वर्ष पूर्ण कर लिए हैं और पूर्ण राज्यत्व की स्वर्ण जयंती को यादगार बनाने के लिए राज्य सरकार ने प्रदेश में 51 कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि इन कार्यक्रमों को आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य युवा पीढ़ी को हिमाचल प्रदेश की पिछले 50 वर्षों की विकास यात्रा के बारे में जागरूक करना है। उन्हांेने कहा कि राज्य ने विभिन्न क्षेत्रों में अत्यधिक प्रगति और विकास किया है।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर 81 लोकतंत्र प्रहरियों में से 66 लोकतंत्र प्रहरियों को सम्मानित किया।

लोकतंत्र प्रहरी समिति के अध्यक्ष एवं शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने आपातकाल को याद करते हुए कहा कि आपातकाल का समय लोकतंत्र के इतिहास में एक काला अध्याय है। उन्होंने आपातकाल की सम्पूर्ण पृष्ठ भूमि को उजागर किया और उस दौरान संघ व उससे सम्बन्धित विभिन्न संगठनों द्वारा किए गए कार्यों की जानकारी दी।

लोकतंत्र प्रहरी समिति के सदस्य प्रवीण शर्मा ने इस अवसर पर मुख्यमंत्री व अन्य गणमान्यों का स्वागत किया। उन्होंने आपातकाल के दौरान जेल में बिताए गए अपने कठिन दिनांे के अनुभव को भी सांझा किया।

राष्ट्रीय गौरव समिति के सचिव सुभाष गुप्त ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखे और आपातकाल के दौरान के अपने अनुभवों को सांझा किया।

इस अवसर पर आपातकाल पर बनाए गए एक वृतचित्र को भी दिखाया गया।

इस अवसर पर शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर, नगर निगम की महापौर सत्या कौण्डल, हिमाचल प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष राधा रमण शास्त्री, पूर्व मंत्री महेन्द्र नाथ सोफत, लोकतंत्र प्रहरी समिति के सदस्य सुनील मनोचा, राष्ट्रीय सिख संगत के राष्ट्रीय महामत्री अविनाश राय जायसवाल, अतिरिक्त मुख्य सचिव जे.सी. शर्मा, सचिव सामान्य प्रशासन देवेश कुमार, निदेशक सूचना एवं जन सम्पर्क हरबंस सिंह ब्रसकोन सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।