अन्नदाता के बलिदान व संघर्ष के आगे अड़ियल मोदी सरकार को आखिर झुकना पड़ा: राजेंद्र राणा

हमीरपुर, 19 नवम्बर- तीनों कृषि कानून वापस लेने की प्रधानमंत्री की घोषणा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सुजानपुर के विधायक व प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष राजेंद्र राणा ने इसे किसानों के संघर्ष और बलिदान की जीत करार दिया है।
आज यहां जारी एक बयान में राजेंद्र राणा ने कहा है कि आजादी से पहले भी अन्नदाता ने अंग्रेजों को भी काले कानून वापस लेने पर मजबूर कर दिया था और अब किसानों ने अहिंसक आंदोलन का सहारा लेकर मोदी सरकार का गुरुर भी तोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि उपचुनाव में भाजपा को जिस तरह हिमाचल सहित विभिन्न राज्यों में जनता ने झटके दिए हैं, उससे भाजपा की चूलें हिल गई हैं। पंजाब व अन्य राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के दृष्टिगत मोदी सरकार को अपनी नाक बचाने के लिए यह तीनों कृषि कानून वापस लेने पर मजबूर होना पड़ा है।
उन्होंने कहा हिमाचल में भी 3 विधानसभा व एक लोकसभा सीट के उपचुनाव में किसानों व बागवानों ने मोदी सरकार को अपनी ताकत दिखाई थी और आज सही मायनों में लोकतंत्र की जीत हुई है और देश के अन्नदाता को उल्टपंथी, गद्दार, देशद्रोही व आतंकी कहने वाली ताकतों को मुंह की खानी पड़ी है।
उन्होंने कहा कि 1 साल पहले ही केंद्र सरकार अगर यह कानून वापस ले लेती तो बड़ी संख्या में किसानों को इस आंदोलन के दौरान अपनी जान नहीं गंवानी पड़ती। उन्होंने कहा किसानों का दर्द समझने की बजाय मोदी सरकार के मंत्री इस कानून के फायदे समझाने में लगे रहे और दिल्ली के बॉर्डर पर बैठे आंदोलनकारी किसानों के मन की बात सुनने का मोदी सरकार ने समय नहीं निकाला।
उन्होंने  कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान को किसानों के संघर्ष की जीत करार दिया है।