विधानसभा : विपक्ष की सियासी रणनीति के आगे झुकी सरकार, सत्य की विजय बताकर झूमते कांग्रेसी

शिमला. विधानसभा के बजट सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण को झूठ का पुलिंदा बताकर विरोध करते विपक्षी दल कांग्रेस के विरोध के बाद उठा विवाद शांत हो गया। सरकार के प्रस्ताव पर विधानसभा के पूरे सत्र के लिए निलंबित विधायकों का निलंबन रद्द कर दिया गया। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर लगातार बयान देते रहे कि पहले राज्यपाल से माफी मांगे कांग्रेस विधायक, उसके बाद ही निलंबन रद्द करने पर विचार होगा। वहीं लगातार धरने पर बैठे विपक्ष के विधायकों की मांग थी कि बिना शर्त निलंबन वापस लिया जाए। विधायकों को निलंबन गैर कानूनी है, जब विधानसभा के अंदर कुछ हुआ ही नहीं तो विधायकों को निलंबन क्यों? विपक्ष अपने मांगों पर अडिग रहकर अडिग रहा। अंतत: विधानसभा अध्यक्ष का फैसला कांग्रेसी विधायकों की मांग के अनुसार ही आया और बिना शर्त कांग्रेस के 5 विधायकों का निलंबन रद्द हुआ। विधायकों का निलंबन रद्द होने पर कांग्रेस विधायक इसे सत्य की जीत बताकर अपनी जीत करार दे रहे हैं। मुख्यमंत्री की राज्यपाल से माफी मांगने की लगातार मांग औचित्य हीन रही, जिससे कहीं न कहीं सरकार बैकफुट पर आई नजर आ रही है।

बिना विपक्ष बजट प्रस्तुत करनी की चिंता
विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन ही राज्यपाल की गाड़ी रोकने के बाद हुए हंगामे के बाद सरकार के प्रस्ताव पर विधानसभा अध्यक्ष ने विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री सहित पांच विधायकों को निलंबित कर दिया। इसके बाद निलंबित विधायक लगातार विधानसभा के बाहर धरने पर बैठे रहे। सत्र के दौरान कांग्रेस के अन्य विधायक विधानसभा में जाकर विधायकों का निलंबन रद्द करने की मांग कर वॉकआउट कर बाहर प्रदर्शन में शामिल हुए। सरकार के अड़ियल रवैए के कारण शुक्रवार सुबह कांग्रेस विधायक दल की बैठक में निर्णय लिया कि अब कोई भी कांग्रेस विधायक सदन में नहीं जाएंगे। जाएंगे तो सभी जाएंगे, नहीं तो कोई भी नहीं जाएगा। कांग्रेस के इस सख्त निर्णय से सरकार को ऐसा लगा कि यह पहला मौका होगा कि 6 मार्च को प्रस्तुत बजट बिना विपक्ष के होगा, जो अभी तक हिमाचल विधानसभा के इतिहास में नहीं हुआ। जिससे सरकार पर दवाब बना कि वह निलंबन रद्द करे और सरकार में बजट के एक दिन पूर्व ही बिना शर्त कांग्रेस विधायकों को निलंबन रद्द कर दिया।

कांग्रेस विधायकों की एकजुटता से बना सरकार पर दवाब
विधानसभा परिसर में सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे कांग्रेस के सभी विधायकों ने राज्यपाल की गाड़ी रोकी लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने पांच विधायकों को निलंबित किया। जिसमें पहला नाम विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री का था। पांच सदस्यो के निलंबन को लेकर विपक्ष ने सरकार पर सवाल उठाए। यह चर्चा में उठी की सरकार कांग्रेसी विधायकों के बीच फूट डालना चाहती है। लेकिन विपक्ष के नेता के साथ पांच विधायकों के निलंबन को लेकर पूरे कांग्रेस के विधायक एक जुट रहे। विधानसभा के बाहर सभी ने एकजुट होकर प्रदर्शन किया तो विधानसभा के अंदर भी एकजुटता के साथ सरकार का विरोध करते रहे। विधानसभा के अंदर मुकेश अग्निहोत्री की अनुपस्थिति में सुखविंदर सिंह सुक्खू, आशा कुमारी और रामलाल ठाकुर ने अपने अपने अंदाज में भूमिका अदा की। शायद सरकार जल्दबाजी में विपक्ष के नेता सहित पांच विधायकों को पूरे सत्र के लिए निलंबित करने निर्णय लेने में गलती कर बैठी,

कांग्रेसियों को मिली संजीवनी, प्रदेश स्तर पर हुए प्रदर्शन
विधानसभा से पांच विधायकों के निलंबन से कांग्रेस को एक संजीवनी भी मिली है। पूरे प्रदेश में कांग्रेस के कार्यकर्ता आंदोलन के मोड में आ गए। विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री के साथ पांच विधायकों के निलंबन के विरोध में पूरे प्रदेश में कांग्रेस ने आंदोलन शुरु कर दिया। कांग्रेस ने ऐलान किया कि सभी जिलों में प्रदर्शन किया जाएगा और 10 मार्च को विधानसभा का घेराव भी किया जाएगा। इसी दौरान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के ऊना दौरे के दौरान कांग्रेस नेताओं ने विरोध प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री गो बैक के नारे लगाए और काले झंडे भी दिखाए। जिससे सरकार को ऐसा लगा कि कांग्रेस का यह आंदोलन व्यापक न बने और मुख्यमंत्री और मंत्रियो के कार्यक्रमों का घेराव प्रदेश स्तर पर न होने लगे। इस कारण भी सरकार पर दवाब बना और सरकार ने निलंबन वापस लेने का प्रस्ताव रख दिया।