हरोली भाजपा में बगावत, लगातार बदल रहे मंडलाध्यक्ष, अवैध खनन और नशा माफिया को संरक्षण का आरोप, हाईकमान से हारे-नकारों को टिकट न देने की मांग

 

ऊना. प्रदेश में एकजुटता का दम भरने वाली भाजपा के दावों का दम ऊना जिले के हरोली विधानसभा क्षेत्र में निकल जाता है। हरोली भाजपा में लगातार बदले जा रहे मंडलाध्यक्ष के कारण भारी गुटबाजी सामाने आ रहे हैं। जिससे हरोली विधानसभा क्षेत्र के नेताओं के बीच चल रही लड़ाई का मामला हाईकमान तक पहुंच गया है। हरोली के भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया है कि पार्टी से जुड़े नेता क्षेत्र में अवैध खनन और नशा माफिया को संरक्षण दे रहे हैं जिससे क्षेत्र में पार्टी व सरकार की छवि खराब हो रही है। विरोध का स्वर उठाने वाले नेताओं ने हाईकमान को पत्र लिख मांग की है कि हरोली में हारे नकारे नेताओं को टिकट न दी जाए। पार्टी को अब किसी नए चेहरे को चुनावी मैदान में उतारना चाहिए। अगर पार्टी हाईकमान ने जमीनी कार्यकर्ताओं की आवाज नहीं सुनी तो इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। प्रदेश में सियासत में हरोली विधानसभा क्षेत्र अवैध खनन और नशा माफिया को लेकर चर्चा में रहा है। खनन और नशा माफिया की सक्रियता के चलते ही हरोली क्षेत्र में कई अपराधिक घटनाएं घटी हैं जिससे सरकार व प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे हैं। यहां स्वां नदी में हो रहे अवैध खनन को लेकर एनजीटी ने भी सरकार व स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे हैं। अब यही अवैध खनन और नशा माफिया को संरक्षण देने के आरोप में भाजपा ने घिरे हैं।

हरोली विधानसभा क्षेत्र में भाजपा नेता रामकुमार चुनाव लड़ते रहे हैं। गत दो विधानसभा चुनावों में भाजपा प्रत्याशी रहे रामकुमार को कांग्रेस के नेता और वर्तमान में विधानसभा में विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री से हार का सामना करना पड़ा था। अगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा की रणनीति है कि जो नेता लगातार दो बार चुनाव हार चुके हैं उन्हें अब टिकट नहीं दिया जाएगा। यदि भाजपा यह फार्मूला लागू करती है तो रामकुमार की टिकट पर संकट के बादल छा जाएंगे। दो बार हार चुके रामकुमार के खिलाफ अब क्षेत्र के भाजपा नेता भी मुखर होकर अपनी आवाज हाईकमान तक पहुंचा रहे हैं। जिससे वह मांग कर रहे हैं हारे हुए नेताओं को टिकट न देकर पार्टी किसी नए चेहरे को प्रत्याशी बनाए। हरोली भाजपा में चल रहे गुटबाजी भी अब भाजपा के लिए सिरदर्द बन गई है। इसका कारण हरोली में लगातार मंडल अध्यक्षों को बदला जाना भी है। हरोली में गत पांच साल में पांच मंडल अध्यक्ष बदले जा चुके हैं। जिनमें कुलविंदर सिंह वैध, जसविंदर सिंह गोगा, रविंद्र जसवाल, नरिंदर सिंह राणा के बाद अब बलविंदर गोल्डी को मंडलाध्यक्ष बनाया गया है। नरिंदर सिंह राणा को मंडलाध्यक्ष पद से हटाने के बाद हरोली में भाजपा की गुटबाजी सड़कों पर आ गई है। अब नेता आरोप प्रत्यारोप लगाकर हाईकमान तक अपनी बात पहुंचा रहे हैं। जिसमें प्रमुख रुप से पार्टी के बड़े नेता पर खनन और नशा माफिया को संरक्षण देने के आरोपों के साथ औद्योगिक क्षेत्रों से अवैध वसूली के आरोप भी सामने आ रहे हैं। इन आरोपों को हाईकमान भी गंभीरता से ले रहा है। जिससे लगता है कि अब हाईकमान के लिए हरोली की गुटबाजी भी सिरदर्द से कम नहीं है। विधानसभा चुनावों में मिशन रिपीट की तैयारी कर रही भाजपा के लिए हरोली की गुटबाजी किसी मुसीबत से कम नहीं है। अब देखना होगा कि भाजपा हाईकमान हरोली भाजपा नेताओं के बीच चल रही गुटबाजी पर क्या कदम उठाती है। हरोली में सामने आ रही भाजपा नेताओं की गुटबाजी और बगातव को हल करना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है।