कांग्रेस के सियासी चाणक्य के रुप में उभर रहे सुक्खू, धीरे-धीरे पर बढ़ा रहे मजबूत कदम, जनता के बीच बढ़ रही लोकप्रियता, पंजाब से सीख लेकर कम बोलने की रणनीति के तहत मुद्दों की बात

संदीप उपाध्याय की कलम से राजनैतिक विश्लेषण

शिमला. कांग्रेस प्रचार कमेटी के प्रधान सुखविंदर सिंह सुक्खू कांग्रेस के सियासी चाणक्य के रुप में उभर रहे हैं। अपने लंबे संगठनात्मक अनुभव का प्रदर्शन करते हुए सुक्खू ने प्रदेश के सबसे बड़े जिले कांगड़ा में अपना शक्ति प्रदर्शन किया। सरकार के खिलाफ विरोध मार्च में न केवल हजारों समर्थकों का हूजूम एकत्र करने में कामयाब हुए बल्कि कांगड़ा जिले के सभी दिग्गज नेताओं को एक मंच पर एकजुट करने में कामयाब रहे। सुक्खू की यही कामयाबी उनको प्रदेश में बड़े नेता के रुप में स्थापित करने में बड़ी भूमिका निभा रही है। कांग्रेस में हुए बदलाव के बाद सुक्खू को चुनाव प्रचार कमेटी की कमान सौंपी गई। कमान संभालते ही सुक्खू बहुत-बहुत धीरे-धीरे लेकिन मजबूत कदम बढ़ा रहे हैं जो आगे की सियासत में डगमागएं नहीं। सुक्खू के बयानों में भी यह देखा जा रहा है कि उन्होंन पंजाब की सियासत से सीख लेकर कम लेकिन मुद्दों पर बयानबाजी कर रहे हैं। कम बोल रहे हैं लेकिन जनता के हित के सियासी मुद्दों पर बोलने रहे हैं। अपनी सियासी रणनीति के तहत सुक्खू जनता के बीच आम आदमी की छवि बनाने में कामयाबी हासिल कर रहे हैं। सुक्खू कभी भी नेताओं वाले कुर्ता पैजामा नहीं डालते बल्कि आम आदमी की तरह पेंट शर्ट में नजर आते हैं। उनका पहनावा भी उनकी सियासत को मजबूत प्रदान कर रहा है। जिससे प्रदेश में आम आदमी के बीच सुक्खू की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। जिससे साबित होता है कि सुक्खू आगे की सियासत में बड़ी लड़ाई लड़ने के लिए अपने को तैयार कर रहे हैं।

विधानसभा चुनावों में विजय पताका लहराने के लिए सुक्खू ने कांगड़ा जिले में विरोध मार्च का निकाला। सुक्खू का यह विरोध मार्च केंद्र सरकार की सेना में भर्ती योजना अग्निवीर, बेरोजगारी, पेपर लीक माफिया और महंगाई की खिलाफ था। कांगड़ा जिले में प्रवेश करते हुए ज्वालामुखी में सुक्खू का भव्य स्वागत किया गया। ज्वालामुखी से कांगड़ा होते हुए धर्मशाला तक सुक्खू का हर जगह स्वागत हुआ और जनता ने विरोध मार्च में भाग लिया। विरोध मार्च के धर्मशाला पहुंचने में जिले के सभी नेता सुक्खू के मंच में एकजुटता से खड़े नजर आए। जिसमें प्रमुख रुप से कांगड़ा के ओबीसी नेता चंद्रकुमार, पूर्व सांसद विप्लव ठाकुर, कार्यकारी अध्यक्ष पवन काजल, रघुवीर सिंह बाली, अजय महाजन, सुधीर शर्मा, आशीष बुटैल सहित सभी प्रमुख नेता मंच पर मौजूद थे। सुक्खू के साथ मंच में एक साथ जुटे नेताओं ने जनता के बीच संदेश पहुंचाया कि कांग्रेस पार्टी में कहीं गुटबाजी नहीं है। बस यही एकजुटता के प्रदर्शन का कमाल सुक्खू की सियासी रणनीति का परिणाम है जो सुक्खू अपने लंबे सियासी संगठनात्मक अनुभव के दम पर अंजाम देते हैं।

सुक्खू के मंच से कांग्रेस नेताओं की एकजुटता का प्रदर्शन कांग्रेस की सियासत के लिए इसलिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता सकता है क्योंकि इससे पहले कांग्रेस के नेता विवादों के कारण सुर्खियों में रहे हैं और नेताओं की गुटबाजी का प्रदर्शन जनता के सामने हुआ। कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह के किन्नौर और सिरमौर के नाहन में हुए कार्यक्रमों में कांग्रेस नेताओं के बीच लड़ाई खुलकर सामने आई थी। किन्नौर और नाहन में कांग्रेसी नेता मंच में ही भिड़ गए और दोनों जगहों पर कांग्रेसियों के बीच हुई लड़ाई में पुलिस का हस्तक्षेप करना पड़ा। नाहन में तो कांग्रेस नेताओं ने एक दूसरे के खिलाफ पुलिस को शिकायत भी की है। इन दो विवादों के बीच सबसे बड़े जिले कांगड़ा में सभी कांग्रेसियों को एकत्र कर सुक्खू ने यह साबित किया है कि उनमें नेतृत्व क्षमता है और वह सबको साथ लेकर चलने की सियासी कला को समझते हैं। सुक्खू ने एकजुटता का संदेश जनता को तो दिया ही, साथ ही हाईकमान को भी बताया कि वह ही ऐसे नेता हैं जो सबको साथ लेकर चलने में कामयाब हैं।