टीबी उन्मूलन को दो राष्ट्रीय अवार्ड : देश के सभी राज्यों को पछाड़ कर हिमाचल प्रदेश रहा टॉप

देश के सभी जिलों में से हमीरपुर जिले को मिला पहला स्थान

शिमला. टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन को लेकर हिमाचल प्रदेश ने दो राष्ट्रीय अवॉर्ड अपने खाते में किए हैं। गत 6 माह की आई रिपोर्ट के आधार पर राष्ट्रीय स्तर पर हुए मूल्यांकन में प्रदेश की कैटेगिरी में हिमाचल प्रदेश को पहला स्थान हासिल हुआ है। वहीं देश के सभी जिलों में टीबी भी हिमाचल प्रदेश का हमीरपुर जिला टॉप पर रहा है। हिमाचल प्रदेश को दो राष्ट्रीय अवॉर्ड हासिल करना बहुत बड़ी उपलब्धि है। प्रदेश के खाते में आई इन बड़ी उपलब्धियों का श्रेय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के स्टेट ऑफीसर डॉ. गोपाल बेरी और उनकी टीम को जाता है। डॉ. बेरी ने इस बारे में बताया कि टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को पूरी टीम ने गांव-गांव जाकर प्रभावी ढंग से लागू किया जिसके कारण ही हम देश में टॉप स्थान बनाने में कामयाब रहे हैं। डॉ. बेरी के अनुसार प्रदेश में टीबी के करीब 13 हजार मामले हैं, जिनका इलाज किया जा रहा है। बेरी बताते हैं कि समान्य टीबी होने पर इसका इलाज सौ फीसदी हो सकता है। जिसके लिए टीबी के मरीज को 6 माह तक लगातार टीबी की दवा लगातार डॉक्टर्स की सलाह से खानी होती है। टीबी का रिकवरी रेट सौ फीसदी है। डॉ. बेरी के अनुसार अगर किसी भी व्यक्ति को लगातार दो सप्ताह तक खांसी आए, तेज बुखार हो और खांसी के दौरान बलगम में खून आए तो उसे तुरंत टीबी की जांच करानी चाहिए। प्रदेश में 290 से अधिक केंद्र हैं जहां टीबी की जांच होती है, जिसमें जाकर निशुल्क टीबी की जांच करानी चाहिए। टीबी की दवा भी पूरी तरह निशुल्क दी जाती है। डॉ. बेरी कहते हैं कि टीबी के मरीजों को 6 माह तक लगातार दवा लेनी चाहिए, चाहे कुछ भी हो, बीच में एक दिन का भी गेफ नहीं होना चाहिए। लगातार दवा लेने से सौ फीसदी मरीज ठीक हो जाते हैं। उनके अनुसार सरकार की ओर से टीबी के बारे में लगातार जागरुकता अभियान चलाया जाता है। इस कारण जिसे भी टीबी के लक्षण दिखाई दें, उसे तुरंत ही इसकी जांच करानी चाहिए। यदि परिवार के किसी एक सदस्य को टीबी की बीमारी हो तो घर के अन्य सदस्यों को भी टीबी की जांच करानी चाहिए, जिससे समय पर बीमारी का पता चल सके और इलाज हो सके। बेरी बताते हैं कि टीबी अब लाइलाज बीमारी नहीं है, इसे दवा खाकर मात दिया जा सकता है। इस प्रकार डॉ. बेरी और उनकी टीम के द्वारा पूरे प्रदेश में टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को गंभीरता से लागू करने के कारण ही हिमाचल की झोली में दो राष्ट्रीय अवॉर्ड आए हैं। जिससे साफ होता है कि प्रदेश के हजारों लोगों की टीबी की बीमारी से बचाया गया है।