ठियोग की सियासत : पिता की राजनैतिक विरासत संभालने को सक्रिय हुए एकलव्य वर्मा

शिमला. ठियोग की पूर्व विधायक राकेश वर्मा के निधन से क्षेत्र के लोगों ने एक अच्छा नेता खो दिया। कोविड काल में जनता के मदद करने में जुटे राकेश वर्मा का अचानक निधन हो गया। स्वर्गीय राकेश वर्मा ठियोग के विधायक रहे हैं। अब उनके पुत्र एकलव्य वर्मा पिता की राजनैतिक विरासत संभालने के लिए क्षेत्र में सक्रिय हो गए हैं। एकलव्य के लिए राजनीति का क्षेत्र अभी नया है क्योंकि पिता से समय वह राजनीति में कम ही सक्रिय रहे हैं। राजनैतिक क्षेत्र में सक्रिय होने के चलते एकलव्य वर्मा क्षेत्र के लोगों से मिल रहे हैं तो भाजपा संगठन और सरकार के नेताओं से भी संपर्क कर रह हैं। जिससे पिता की विरासत को जमीन से लेकर संगठन के नेताओं तक पहचान और पहुंच बन सके।
एकलव्य वर्मा ठियोग विधानसभा क्षेत्र से पूरी तरह परिचित हैं। जिससे उन्होंने क्षेत्र में जनसंपर्क अभियान शुरु कर दिया है तो वह भाजपा की टिकट पक्का करने के लिए भाजपा के आला नेताओं से भी संपर्क कर रहे हैं। सरकार के मंत्रियों से संपर्क स्थापित कर भी अपने को मजबूत करने का प्रयास कर रहे हैं। कुछ समय पूर्व एकलव्य ने सरकार में मंत्री सुरेश भारद्वाज का कार्यक्रम आयोजित कर क्षेत्र के लोगों को जोड़ने का प्रयास किया तो वन मंत्री राकेश पठानिया को आमंत्रित कर कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें पठानिया तो नहीं पहुंच सके लेकिन संगठन के नेता जम्बाल ने समारोह में शिरकत की। इस समारोह में बड़ी संख्या में भाजपा के कार्यकर्ता शामिल हुए जिससे साबित हुआ कि एकलव्य वर्मा क्षेत्र के लोगों को साथ में जोड़ने में सफल हो रहे हैं।आर्थिक रुप से मजबूत एकलव्य वर्मा के साथ उनके पिता के समर्थक रहे सभी नेता उनका साथ दे रहे हैं। अभी विधानसभा चुनाव के लिए दो वर्ष से अधिक का समय हैं। अब देखना है कि विधानसभा चुनाव तक एकलव्य वर्मा क्षेत्र की जनता का कितना समर्थन हासिल कर पाते हैं और भाजपा से टिकट लेने में सफल होते हैं। अभी फिरहाल एकलव्य के लिए जनता के समर्थन के साथ भाजपा मंडल के नेताओं का समर्थन हासिल करना और भाजपा से टिकट हासिल करना ही बड़ी चुनौती है। संभावना यही है कि राकेश वर्मा के निधन होने के बाद टिकट उनके परिवार के सदस्य को ही दिया जाएगा। फिर भी स्थानीय नेताओं का समर्थन पर भी निर्भर करता है कि वह एकलव्य का समर्थन करते हैं या फिर किसी नए उम्मीदवार के माध्यम से चुनौती देते हैं। सियासत में कुछ भी संभव है, फिरहाल तो एकल्वय वर्मा अपने पिता की राजनैतिक विरासत संभालने के लिए क्षेत्र में सक्रियता से काम कर रहे हैं।