सरकार ने जीएसटी बढ़ाकर फिर चलाया महंगाई का डंडा

अब आम आदमी के यूज की चीजें होंगी और महंगी : राणा
5 फीसदी की जगह अब 12 फीसदी जीएसटी वसूलने का किया फरमान जारी
हमीरपुर 22 नवंबर
बाजार और कारोबार के एजेंडे पर सरकार को चलाने वाली बीजेपी ने उपचुनावों में करारी हार के बाद अब जनता पर नया महंगाई का डंडा व फंडा चलाया है। यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है। राणा ने कहा कि अब जनता को कपड़े, जूते, चप्पल और टैक्सटाइल का सामान खरीदने के लिए सरकार द्वारा लागू और जजिया लागू करने के कारण और महंगा मिलेगा। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में लोकहित को निगलने में लगी सरकार ने अब इन सामानों पर 12 फीसदी जीएसटी लगाने का तुगलकी फरमान जारी किया है। जिस कारण से पहले से महंगाई से बिलबिला रही जनता की जेब पर और डाका डालने का इंतजाम कर दिया गया है। राणा ने कहा कि पहले इन सामानों पर सरकार 5 फीसदी की दर से जीएसटी लगा रही थी लेकिन अब इसे अचानक बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया है। जानकारी के मुताबिक नई दरें 2022 से लागू होंगी। उन्होंने कहा कि सेंटर बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (सीबीआईटी) ने इस अतिरिक्त बोझ की सूचना को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है। पहले जहां किसी भी प्राइज के फेब्रिक पर 5 फीसदी जीएसटी लगता था अब यह 12 फीसदी की दर से लगेगा। उन्होंने कहा कि इसका असर सीधे तौर पर बुने हुए धागों, सिंथेटिक धागों, थान, कंबल, टेंट, टेबल क्लॉथ, रग्स, तौलिया, नैपकिन, रूमाल, दरी, कालीन, गलीचा, लोई आदि तमाम आम आदमी के प्रयोग में आने वाली रोजमर्रा की चीजों पर पड़ेगा। राणा ने कहा कि महंगाई के ऊपर महामारी का असर अभी देश से विदा हुआ नहीं व्यापार कारोबार धीरे-धीरे उठने लगे थे लेकिन सरकार ने अब टैक्स का डंडा चलाकर फिर महंगाई को और बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस तुगलकी फैसले से आम जनता को पहले की तुलना में और ज्यादा खर्चों का बोझ उठाना पड़ेगा। इंडस्ट्री अभी भी महंगाई की मार से उभर नहीं पाई है। विशेष तौर पर कच्चे माल की कीमतों के साथ विशेष यार्न पैकिंग सामग्री, माल ढुलाई में लगातार तेजी आई है जिसकी वजह से इन चीजों की कीमतों में 20 फीसदी तक महंगाई दर्ज होगी। राणा ने कहा कि सरकार लोकहित में नहीं लूट हित में काम कर रही है जो कि प्रजातंत्र की मर्यादा की विरुद्ध है। सरकार की इस तानाशाही पर सबक आने वाले विधानसभा चुनावों में कई राज्यों की जनता देगी, यह तय है। क्योंकि सरकार की अति और अभिमान सातवें आसमान पर है जबकि आम आदमी का जीवन रसातल की ओर धंसता जा रहा है।