समझो सुक्खू का सियासी खेल, मुख्यमंत्री पद की लड़ाई में जो साथ रहे, उन्हें दी कुर्सी, बाकी साइड लाइन

संदीप उपाध्याय

शिमला. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपनी कैबिनेट बना ली है। कैबिनेट बनने के बाद साफ हो गया कि सुक्खू अपने कट्‌टर समर्थकों को मंत्री पद देने में कामयाब रहे हैं। मंत्री पद के लिए दिल्ली में लंबे समय तक लॉबिंग होती रही लेकिन गठन के बाद दिखा कि सुक्खू ने अपने विशेषाधिकार का उपयोग करके दिखाया है। मुख्यमंत्री पद की लड़ाई में जो विधायक दमदारी के साथ समर्थन कर रहे थे, सभी को कुर्सी प्रदान की है। इसका मतलब है कि अब हिमाचल की सियासत में सुक्खू राज की स्थापना हो गई। कैबिनेट गठन कर सुक्खू ने साफ कर दिया है कि वह अब अपने हिसाब से ही सरकार चलाएंगे, किसी का भी हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेंगे।

मंत्री पद पाने की लड़ाई के बीच मुख्यमंत्री ने अपने मंत्रीमंडल का विस्तार कर 7 मंत्री शामिल किए हैं और तीन मंत्रियों के पद खाली रखे हैं। सात मंत्रियों में से चार मंत्री वह विधायक बने हैं जो मुख्यमंत्री पद की लड़ाई में पूरी दमदारी के साथ सुक्खू का समर्थन शुरु से अंत तक करते रहे हैं। जिसमें जगत सिंह नेगी, रोहित ठाकुर, हर्षवर्धन चौहान और अनिरुद्ध सिंह हैं। कांग्रेस के चारों विधायक लगातार सुक्खू के समर्थन में खड़े रहे और सुक्खू ने चारों विधायकों को कैबिनेट मंत्री बना दिया है। शिमला जिले से तीन मंत्री कैसे बनेंगे, इस पर सवाल भी उठते रहे लेकिन सुक्खू ने बना दिए। सुक्खू ने विक्रमादित्य को भी कैबिनेट में शामिल कर पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की विरासत को भी स्थान दे दिया। वहीं किन्नौर के विधायक जगत सिह नेगी को ट्राइबल कोटे से सरकार में शामिल किया। वहीं कांग्रेस पार्टी के दो सीनियर नेता धनीराम शांडिल्य और चंद्र कुमार को मंत्री बना दिया है। आरक्षित कोटे से धनीराम शांडिल्य तो कांगड़ा जिले के जातीय समीकरण के हिसाब से महत्वपूर्ण ओबीसी वर्ग से चंद्र कुमार को मंत्री पद दिया है।

मंत्री मंडल के गठन की लॉबिंग के दौरान यह बात भी सामने आए कि कांग्रेस हाईकमान का संदेश है कि तीन मंत्री आरक्षित वर्ग से बनने चाहिए तो सीपीएस बनाकर संतुलन बैठाने का प्रयास किया है। रोहड़ू के विधायक मोहन लाल ब्राक्टा और बैजनाथ के विधायक किशोरी लाल को मुख्य संसदीय सचिव बनाया है। वहीं अपने समर्थक संजय अवस्थी और रामकुमार को संसदीय सचिव बना दिया है। इसके साथ ही मुकेश अग्निहोत्री के समर्थक माने जाने वाले आशीष बुटेल को संसदीय सचिव बनाया है। मंत्री पद के प्रबल दावेदार सुंदर ठाकुर को सीपीएस बनाया है। सुंदर ठाकुर भी शुरु से ही सुक्खू का समर्थन करते रहे हैं।

मुख्यमंत्री पद की लड़ाई के दौरान कांग्रेस की गुटबाजी सामने आई थी। मुख्यमंत्री पद की लड़ाई में सुक्खू, मुकेश अग्निहोत्री और प्रतिभा सिंह के समर्थकों की स्थिति साफ हो गई थी। कुछ विधायक ऐसे थे जो तीनों में से किसी का समर्थन नहीं कर रहे थे, हाईकमान के आदेश का पालन करने की दुहाई दे रहे थे। ऐसे विधायकों को सरकार में कोई जगह अभी तक नहीं मिली है। पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा, राजेश धर्माणी और राजेंद्र राणा मंत्री पद के दावेदार थे लेकिन सुक्खू के पहले कैबिनेट विस्तार में तीनों को जगह नहीं मिली हैं। वहीं पूर्व की कांग्रेस सरकार में सीपीएस रहे इंद्र दत्त लखनपाल और विनय कुमार को भी अभी सरकार में जगह नहीं मिली है। सरकार में अभी तीन कैबिनेट मंत्री के पद खाली हैं। अब इन तीन पदों के लिए लॉबिंग होगी। अब इंतजार ही होगा कि सुक्खू कब मंत्रीमंडल का विस्तार करते हैं और कौन शामिल होता है। लेकिन सुक्खू ने साफ कर दिया कि वह अपने समर्थकों को हर हाल में मंत्री मंडल में शामिल करेंगे। जिसमें राजेश धर्माणी का नाम सबसे आगे रखा जा सकता है। लेकिन सुक्खू ने साफ कर दिया कि अब हिमाचल में कांग्रेस सियासत के वही नेता है। जो उनके साथ रहेगा, उसे सरकार में जगह मिलेगी, जो विरोध का रास्ता अपनाएंगे, उन्हें साइड लाइन किया जाएगा।